कृषि में जैव उर्वरकों की भूमिका
Modern Kheti - Hindi|15th September 2022
जैविक खाद
डॉ. कविता, डॉ. ललिता रानी और डॉ. प्रधुमन भटनागर 
कृषि में जैव उर्वरकों की भूमिका

हरियाणा

पिछले दशकों में कृषि की निरन्तर वृद्धि में उन्नत किस्म के बीजों, उर्वरकों, सिंचाई जल एवं पौध संरक्षण का उल्लेखनीय योगदान है। वर्तमान ऊर्जा संकट और निरन्तर क्षीणता की ओर अग्रसर ऊर्जा स्रोतों के कारण रासायनिक उर्वरकों की कीमतें आसमान को छूने लगी हैं। फसलों द्वारा भूमि से लिए जाने वाले प्राथमिक मुख्य पोषक तत्वों- नत्रजन (नाइट्रोजन), सुपर फास्फेट एवं पोटाश में से नत्रजन का सर्वाधिक अवशोषण होता है क्योंकि इस तत्व की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। भारत जैसे विकासशील देश में नत्रजन की इस बड़ी मात्रा की आपूर्ति केवल रासायनिक उर्वरकों से कर पाना छोटे और मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से परे है। फसलों में जैव उर्वरक इस्तेमाल करने से वायुमण्डल में उपस्थित नत्रजन पौधों को (अमोनिया के रूप में) सुगमता से उपलब्ध होती है तथा भूमि में पहले से मौजूद अघुलनशील फास्फोरस आदि पोषक तत्व घुलनशील अवस्था में परिवर्तित होकर पौधों को आसानी से उपलब्ध होते हैं। चूंकि जीवाणु प्राकृतिक हैं, इसलिए इनके प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और पर्यावरण पर विपरीत असर नहीं पड़ता। जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरकों के पूरक हैं, विकल्प कतई नहीं हैं। रासायनिक उर्वरकों के पूरक के रूप में जैव उर्वरकों का प्रयोग करने से हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। भूमि की उर्वरता को टिकाऊ बनाए रखते हुए सतत फसल उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने प्रकृति प्रदत्त जीवाणुओं को पहचान कर उनसे विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हितैषी उर्वरक तैयार किये हैं जिन्हें हम जैव उर्वरक (बायोफर्टिलाइजर) या 'जीवाणु खाद' कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि जैव उर्वरक जीवित उर्वरक है जिनमे सूक्ष्मजीव विद्यमान होते है। जैव उर्वरक निम्न प्रकार के होते हैं :

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सब्जियों की जैविक खेती
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सब्जियों की जैविक खेती

सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।

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1st September 2024
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
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किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।

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1st September 2024
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
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उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन

दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।

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1st September 2024
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
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ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय

खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।

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वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
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वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका

आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।

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मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
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मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक

मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।

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1st September 2024
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
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जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें

भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।

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1st September 2024
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
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गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।

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1st September 2024
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
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अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।

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1st September 2024
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
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खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह

उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

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