फसल सुरक्षा
हमारे देश में उगाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों में मिर्च व शिमला मिर्च की फसल का प्रमुख स्थान है। लेकिन मिर्च व शिमला मिर्च का उत्पादकता स्तर काफी कम है। इनके उत्पादन में कमी का एक प्रमुख कारण फसलों पर कीट, रोग तथा सूत्रकृमियों का अधिक प्रकोप होना है। इस लेख में मिर्च व शिमला मिर्च की फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें का विस्तृत उल्लेख है।
प्रमुख कीट थ्रिप्स: थ्रिप्स छोटे तथा पतले कीट होते हैं और नर्सरी के साथ मुख्य खेत में भी दिखाई देते हैं व अपने पूरे जीवनभर वे मिर्च व शिमला मिर्च फसल को प्रभावित करते हैं। वयस्क तथा निम्फ दोनों फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। पत्तियों के ऊतकों के चिथड़े कर देते हैं और रस को चूसते हैं। इनके द्वारा नर्म प्ररोहों, कलियों तथा फूलों पर आक्रमण किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वे मुड़ जाते हैं व विरूपित हो जाते हैं, पत्तियों का ऊपरी हिस्सा भी मुड़ जाता है। ग्रीष्म मौसम में नाशीजीवों का संक्रमण बढ़ जाता है।
चेपा: ये आमतौर पर शुष्क, बादलों वाले ठण्डे तथा आर्द्र मौसम की स्थितियों में प्रकट होते हैं, जबकि भारी वर्षा चेपा की कालोनियों को धो डालती है। ये फरवरी से अप्रैल के दौरान तेजी से बढ़ते हैं। ये मिर्च व शिमला मिर्च के नर्म प्ररोहों तथा पत्तियों की निचली सतह पर दिखाई देते हैं। रस को चूसते हैं तथा पौधों की वृद्धि को कम करते हैं। ये मीठा पदार्थ छोड़ते हैं, जो कि चींटियों को आकर्षित करता है, जिससे काली फंफूद विकसित हो जाती है।
तम्बाकू की इल्ली: तम्बाकू की इल्ली का वयस्क भूरे रंग का होता है। दूसरे और तीसरे इनस्टार के लार्वे कैलिक्स के पास छेद बनाकर मिर्च व शिमला मिर्च की फलियों में प्रवेश करते हैं तथा मिर्च के बीज से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। प्रभावित फलियां गिर जाती हैं या सूखने पर सफेद रंग की हो जाती हैं। ये आदत से रात्रिचर होते हैं, लेकिन इन्हें दिन के समय भी देखा जा सकता है।
Denne historien er fra 15th October 2022-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।