जहर मुक्त गेहूँ-सरसों में कीटों का बहुआयामी प्रबंध
Modern Kheti - Hindi|15th January 2023
किसान भाई आमतौर पर यह सोचते हैं कि कीट फसलों का नुक्सान करते हैं और इनको मार कर ही फसल को बचाया जा सकता है। यद्यपि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि व संबंधित विभागों की ओर से किसानों को जानकारी दी जाती है कि कीटनाशकों का स्प्रे खेतों का सर्वेक्षण करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए परन्तु अक्सर किसान भय के कारण स्प्रे कर देते हैं।
अशोक कुमार
जहर मुक्त गेहूँ-सरसों में कीटों का बहुआयामी प्रबंध

गेहूँ हरियाणा एवं पंजाब की मुख्य फसल एवं खाद्य मुख्य आहार है। पंजाब में खेती अधीन कुल क्षेत्रफल 41.3 लाख हैक्टेयर है जिस में सर्दियों में गेहूँ लगभग 35 लाख हैक्टेयर एवं सरसों लगभग 50 हजार हैक्टेयर में बोई जाती है। गेहूँ की फसल पर बहुत खर्च नहीं आता, परन्तु फिर भी भय एवं पूर्ण ज्ञान न होने के कारण किसान काफी खर्च कर रहे हैं।

किसान भाई आमतौर पर यह सोचते हैं कि कीट फसलों का नुक्सान करते हैं और इनको मार कर ही फसल को बचाया जा सकता है। यद्यपि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि व संबंधित विभागों की ओर से किसानों को जानकारी दी जाती है कि कीटनाशकों का स्प्रे खेतों का सर्वेक्षण करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए परन्तु अक्सर किसान भय के कारण स्प्रे कर देते हैं। बाकी रहा पैस्टीसाईड कंपनियों की ओर से किये प्रचार पूरी हो जाती है। किसान भी इन जहरों से छुटकारा पाना चाहते हैं और पंजाब के माथे पर लगी इस तोहमत से परेशान हैं कि पंजाब भारत का 2 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद 18 प्रतिशत रसायन का इस्तेमाल कर रहा है। इस दृश्य के मुख्य कारण हैं :

  • किसानों की कीटों के बारे में जानकारी की कमी
  • कीटों और पौधों का आपसी संबंध
  • खेतों में सही समय कीटों या नुक्सान का सर्वेक्षण करने की विधि 'बहुआयामी कीट प्रबंधन" की मुकम्मल जानकारी न होना
  • सर्वेक्षण के बाद एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण करने का ज्ञान न होना
  • श्वविद्यालय एवं विभागों के अफसरों एवं विशेषज्ञों के साथ संबंध न होना और कंपनियों के एजेंटों एवं दुकानदारों पर निर्भरता 
  • किसान सेवाओं के लिए विभागों में अफसरों एवं मजदूरों की भारी कमी

इन कारणों के कारण किसान रासायनिक जहरों पर निर्भर होने के लिए। विवश हो जाता है और जरूरत के बगैर/अधिक खर्च कर बैठता है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। किसानों से मिली जानकारी के अनुसार प्रति हैक्टेयर कम से कम 1000 रु. (प्रति एकड़ 400रु.) औसत खर्च करते हैं और इस हिसाब से हर सीजन में लगभग 355 करोड़ रु. बनता है। प्रति एकड़ का खर्च देखा जाये तो कोई बहुत अधिक नहीं लगता परन्तु यह खर्च कम से कम है और वास्तव में खर्च कितना हो रहा है और हर वर्ष हो रहा है इसका हिसाब न किसान लगाते हैं और न ही माहिर। 

Denne historien er fra 15th January 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra 15th January 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA MODERN KHETI - HINDISe alt
मृदा में नमी की जांच और फायदे
Modern Kheti - Hindi

मृदा में नमी की जांच और फायदे

नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

time-read
3 mins  |
15th November 2024
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
Modern Kheti - Hindi

निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल

पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।

time-read
3 mins  |
15th November 2024
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
Modern Kheti - Hindi

खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी

जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।

time-read
2 mins  |
15th November 2024
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
Modern Kheti - Hindi

बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से

साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।

time-read
4 mins  |
15th November 2024
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
Modern Kheti - Hindi

घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'

भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।

time-read
4 mins  |
15th November 2024
कृषि विकास का राह सहकारिता
Modern Kheti - Hindi

कृषि विकास का राह सहकारिता

भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।

time-read
3 mins  |
15th November 2024
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
Modern Kheti - Hindi

मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से

सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।

time-read
3 mins  |
15th November 2024
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
Modern Kheti - Hindi

ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित

भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।

time-read
2 mins  |
15th November 2024
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
Modern Kheti - Hindi

खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान

खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।

time-read
2 mins  |
15th November 2024
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
Modern Kheti - Hindi

जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...

कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।

time-read
4 mins  |
15th November 2024