इन कीट व बीमारियों से उपज के साथ-साथ फसल की गुणवता पर भी कुप्रभाव होता है। इसलिये इनके नियंत्रण हेतु किसानों की फसल लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बीजोपचार एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा मामूली लागत से किसान बहुत सी बीमारियों से फसल को बचा सकते हैं। खरीफ मौसम की मुख्यतयाः फसलें धान, कपास, ग्वार, बाजरा, मूंग, मोठ, उड़द, लोबिया व तिल इत्यादि हैं। इन फसलों पर कई मिट्टी जनित व बीज जनित बीमारियों से बचाव के लिये हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निम्नलिखित बीजोपचार अनुमोदित किया हुआ है :
बाजरा में बीज उपचार : बीज का भलीभांति निरीक्षण करें और देखें कि उनमें अरगट (चेपा) के पिंड न हों। यदि बीज किसी प्रमाणित संस्था से न लिया गया हो तो अरगट के पिंड हाथ से चुनकर बाहर निकाल दें। यदि किसान अपना ही बीज प्रयोग में ला रहे हैं तो पिण्डों को हाथ से चुनकर निकाल दें या नमक के पानी में बीज को डुबोकर निकाल दें। एक एकड़ के बीज के लिए 1 किलोग्राम नमक को 10 लीटर पानी में मिलायें। इस नमक वाले पानी में 2-3 किलोग्राम बीज बारी-बारी से डालें तथा तैरने वाले बीज बाहर निकाल दें। नीचे बैठे हुए भारी बीजों को निकालकर दोतीन बार साफ पानी से धो लें ताकि इन बीजों पर नमक के अंश न रहें। अन्त में धुले हुए सारे बीज को छाया में सुखा लें। ऐसे बीज को बोने से पहले 2 ग्राम एमीसान तथा 4 ग्राम थाइरम प्रति किलोग्राम बीज से सूखा उपचार करें।
यदि बीज पहले से उपचारित न हो तो डाऊनी मिल्ड्यू (जोगिया या हरी बालों वाला रोग) की शुरुआती रोकथाम के लिए बीज को मैटालेक्सिल 35% से 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से भी उपचारित कर देना चाहिए।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।