निजी कंपनियों द्वारा उत्पादित हाइब्रिड बीज किसानों के लिए काफी महंगा होता है तथा समय पर उपलब्ध न होना भी एक समस्या है। इसके साथ कई कंपनियों द्वारा उत्पादित बीज भी विश्वसनीय नहीं होते जिससे किसानों को कई बार काफी नुकसान उठाना पड़ता है। उत्तम गुणवत्ता वाले किस्मों एवं हाइब्रिडस का बीज उत्पादन किसान अपने स्तर पर भी कर सकते हैं। किसान द्वारा अपने स्तर पर उत्पादित बीज अत्याधिक सस्ता एवं उच्च गुणवत्ता वाला होता है। किसानों द्वारा बीज उत्पादन करके बीज की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है जो अत्याधिक लाभप्रद एवं आमदनी का अच्छा श्रोत बन सकता है।
हाइब्रिड (संकर) कपास क्या है? : दो अलग-अलग किस्मों के पौधों के बीच संकरण के उत्पन्न सन्तति को संकर या हाइब्रिड कहते हैं। कपास में हाइब्रिड बीज उत्पादन करने के लिए निर्धारित नर एवं मादा जनक पौधों के फूलों के बीच क्रॉस (संकरण) कराया जाता है, जिससे दोनों जनकों के वांछित गुण हाइब्रिड में आ जाते हैं। इस कारण हाइब्रिड अधिक पैदावार, उच्च गुणयुक्त, कीड़ों व बीमारी के प्रति प्रतिरोधी एवं अनुपयुक्त वातावरण के प्रति भी अधिक सहनशील होते हैं। हाइब्रिड बीज प्रति वर्ष नया बनाना पड़ता है क्योंकि इनसे प्राप्त बीजों को लगातार बोने से अगली फसलों में उत्पादन एवं शुद्धता में कमी आती है अतः हर वर्ष कपास के हाइब्रिड बीजों की बहुत अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
Denne historien er fra 1st June 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।