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हमारे देश में सब्जी उत्पादन में कमी के अनेक कारण हैं। सबसे पहला कारण यह है कि खाद्यान्नों की अपेक्षा सब्जियों की उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्में कम विकसित की गई हैं। इसके अतिरिक्त तम्बाकू, गन्ना जैसी नगदी फसलों ने भी अधिक क्षेत्र घेर लिया है। यदि कुछ किसान थोड़ी बहुत सब्जियां बोते भी हैं तो कमजोर और अनुपयुक्त भूमि में, बेमौसम और बिना खाद पानी या कम खाद पानी देकर बोते हैं जिससे पैदावार तो कम मिलती ही है साथ-साथ सब्जियों की गुणवता में भी कमी आ जाती है जो स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त होती है। यदि ध्यान दिया जाए तो, सब्जी उत्पादन अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभकारी है परन्तु सब्जियों की खेती करते समय अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। सब्जियों को मुख्यतः दो प्रकार से लगाया जाता है। एक तो पौध तैयार करके एवं दूसरा खेत में बीज बोकर। सामान्यतः जिन सब्जियों के बीज छोटे होते हैं, उनकी नर्सरी तैयार की जाती है। जिनका बीज बड़ा होता है। उन्हें सीधे खेत में बो दिया जाता है। यहां पर कुछ सुझाव दिये जा रहे हैं जिनको अपनाकर किसान अच्छी आय अर्जित कर सकता है।
सब्जी उत्पादन के लिए सुझाव
1. मिट्टी का चुनाव: सब्जी उत्पादन के लिए भूमि बलुई दोमट, उपजाऊ, कंकड़, उत्थरों से रहित तथा जीवांश पदार्थों युक्त होनी चाहिए। अधिक अम्लीय, क्षारीय या जल भराव वाली भूमि सब्जियों के लिए उपयुक्त नहीं है। सब्जियों के लिए 6-7 पी. एच. मान वाली भूमि उपयुक्त रहती है।
2. खेत की तैयारी: सब्जी उगाने वाले खेत में गहरी जुताई करके भूमि को समतल व भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर द्वारा जुताई करके पाटा लगाकर खेत के ढेले तोड़ देना चाहिएं। खेत की अंतिम जुताई के पहले फसल की आवश्यकतानुसार गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोर्स एवं पोटाश की पूरी मात्रा खेत में डालकर जुताई कर देनी चाहिए ताकि सभी खादें अच्छी प्रकार से खेत में मिल जाएं। इसके बाद खेत में आवश्यकतानुसार क्यारियां व नालियां बना लेनी चाहिएं।
Denne historien er fra 15th July 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...
\"यदि पृथ्वी बीमार है तो यह लगभग निश्चित है तो हमारा जीवन भी बीमार है। यदि हम मनुष्य के अच्छे जीवन व स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि भूमि के स्वास्थ्य को ठीक करना भी बहुत आवश्यक है, मॉडर्न तकनीकों ने भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाला है। इस पृथ्वी पर जैसा भी जीवन है यद्यपि स्वस्थ है या अस्वस्थ है यह भूमि की उपजाऊ शक्ति/अर्थात भूमि के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भोजन पदार्थ धरती में से ही आ रहे हैं। प्रसिद्ध विज्ञानी कारले इस लक्ष्य पर पहुंचा कि कैमिकल फर्टीलाइज़र भूमि के स्वास्थ्य को रासायनिक खादें सुरक्षित नहीं रख सकते। यह रसायन भोजन अथवा भूमि में स्थिर हो जाते हैं सिर्फ कार्बनिक पदार्थ ही भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।\"
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बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को अपने बहुप्रतीक्षित बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को \"विश्व का खाद्य भंडार\" बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया।
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आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?
आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक महत्व का फल वृक्ष है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है।
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जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप
नासा के वैज्ञानिकों ने लगभग 20 सालों का अवलोकन करके पाया कि दुनिया भर में जल चक्र तेजी से बदल रहा है। इनमें से अधिकांश खेती जैसी गतिविधियों के कारण हैं, इनका कुछ इलाकों में पारिस्थितिकी तंत्र और जल प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है।
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कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भले ही रोजगार की उजली तस्वीर पेश की गई है, लेकिन इसने सेवा और निर्माण क्षेत्र में रोजगार घटने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की बात कर यह साबित कर दिया है। कि सरकार कृषि क्षेत्र के रोजगार को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित करने में विफल साबित हुई है।
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गेहूं फसल की सिंचाई कब और कैसे करें?
भारत में गेहूं की फसल शरद ऋतु में उगाई जाती है जो कि लगभग 130 दिन का फसल चक्र पूरा करती है। असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसलावधि मध्य अक्टूबर से मार्च माह के बीच होती है और सिंचित क्षेत्रों में यह अवधि मध्य नवम्बर से मार्च से अप्रैल के बीच होती है। भारत में गेहूं की फसल मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में होती है।
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पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व
शरीर की प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। इसके सही संतुलन से विशेष प्रकार की बिमारियों से बचा जा सकता है।
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फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका
एक नए शोध में दिखाया गया है कि पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) के स्तर को कम करने से धान की फसल और अरेबिडोप्सिस में नाइट्रोजन अवशोषण और नाइट्रोजन के सही उपयोग या नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी (एनयूई) में बहुत ज्यादा सुधार हो सकता है।
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जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं ..
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की खूब बातें हो रही हैं। केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती पर काफी जोर दे रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के बजट के आंकड़े देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के मामले में खास उत्साहजनक नजर नहीं आते।
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वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती
परिचय : भिंडी सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, जिसे लोग लेडीज़ फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी का वैज्ञानिक नाम एबेलमोलकस एस्कुलेंटस (Abelmoschus esculentus L.), कुल / परिवार मालवेसी तथा उत्पत्ति स्थान दक्षिणी अफ्रीका अथवा एशिया माना जाता हैं।