यह देखा गया है कि पशु जो चारा खाते हैं उनसे पशु के शरीर को खनिज लवणों की जरूरत पूरी नहीं होती है व पशु अस्वस्थ हो जाते हैं। खनिज लवणों की चारे में कमी का कारण यह भी हो सकता है कि पशु जिस भूमि से चारा ले रहे हैं, उस भूमि की मिट्टी में ही लवणों की कमी हो जिससे चारे में भी खनिज लवणों की मात्रा कम हो जाती है। पशु के शरीर में पाये जाने वाले खनिज लवण दो प्रकार के होते हैं। एक तो वे जिनकी पशु के शरीर को ज्यादा मात्रा में जरूरत होती है। ऐसे खनिज मुख्य खनिज कहलाते हैं, जैसे- कैल्शियम, नमक, फास्फोरस मैगनीशियम, पोटेशियम व सल्फर मुख्य खनिज कहलाते हैं। दूसरे प्रकार के वे खनिज जिनकी पशु शरीर को बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है। जैसे तांबा, जस्ता कोबाल्ट, सेलीनियम, आयोडीन व लोहा सूक्ष्म खनिज कहलाते हैं।
खनिज की कमी से शरीर में होने वाली विकृतियों में उस खनिज की बहुत थोड़ी मात्रा पशु को आहार में देने पर उसके शरीर में होने वाली क्रियाओं में सुधार से खनिज की आवश्यकता का पता चलता है। पशुओं में खनिज लवणों की कमी ऐसा आहार देकर दूर की जा सकती है जिसमें खनिज मिश्रण मिला हो। ऐसे खनिज युक्त आहार देने से पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार आता है।
देश के कई भागों में पशु खनिज की कमी से रोग ग्रस्त हो रहे हैं जिससे स्वस्थ पशुओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है व दूध की कमी और शरीर भार में वृद्धि न होना जैसी अन्य कई समस्याएं देखी जा रही हैं।
पशुओं के शरीर के लिये मुख्य खनिज लवणों के अंतरगत कैल्शियम (चूना) बहुत आवश्यक तत्व है। यह शरीर में काफी मात्रा में पाया जाता है। हड्डियों व दाँतों के बनने व उनके विकास में इसकी बहुत जरूरत होती है।
Denne historien er fra 1st June 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।