उत्तम बीजों के चुनाव के बाद उनका उचित बीजोपचार भी जरूरी है क्योंकि बहुत से रोग बीजों से फैलते हैं। अतः रोग जनकों, कीटों एवं असामान्य परिस्थितियों से बीज को बचाने के लिए बीजोपचार एक महत्वपूर्ण उपाय है।
बीजोपचार के लाभ
अनुसंधान द्वारा पाया गया कि बीजोपचार के लाभ उत्तम पौधों, अच्छी गुणवत्ता, ऊंची पैदावार और रोगों तथा कीट नियंत्रण में लगी पूंजी पर अच्छी आय के रूप में दिखाई देते हैं। परंतु आज भी ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है, जो अनुपचारित बीज बोते हैं। इसलिए उपचारित बीजों के लाभों का व्यापार प्रचार तथा प्रसार करना बहुत आवश्यक है।
1. बीजोढ़ रोगों का नियंत्रण: छोटे दाने की फसलों, सब्जियों व कपास के बीज के अधिकांश बीजोढ़ रोगों के लिए बीज निसंक्रमण व बीज विग्रसन बहुत प्रभावकारी होता है।
2. मृदोढ़ रोगों का नियंत्रण: मृदोढ़ कवक, जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज व तरूण पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि बीजोपचार रसायन बीज के चारों ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है और बीज की बुवाई ऐसे जीवों को दूर रखता है।
3. अंकुरण में सुधार: बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है। यदि बीज पर कवकों का प्रभाव बहुत अधिक होता है तो भंडारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।
4. कीटों से सुरक्षा: भंडार में रखने से पूर्व बीज को किसी उपयुक्त कीटनाशी से उपचारित कर देने से वह भंडारण के दौरान सुरक्षित रहता है। कीटनाशी का चयन संबंधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है।
5. मृदा कीटों का नियंत्रण: कीटनाशी और कीटनाशी का संयुक्त उपचार करने से में बुआई के बाद मृदा सुरक्षित रहता है और बीज अवस्था में उसका विकास निर्विधन होता है।
बीजोपचार की विधियां :
नमक के घोल से उपचार :
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