बचत के माध्यम से किसान इन जोखिमों का सामना करने के लिए तैयार रह सकते हैं। आपातकालीन स्थितियों, जैसे प्राकृतिक आपदाओं या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समय, बचत का पैसा तुरंत सहायता प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, खेती के लिए आवश्यक उपकरणों और तकनीकों में निवेश करना महंगा हो सकता है। बचत के माध्यम से किसान इन खर्चों को वहन कर सकते हैं और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं। बचत किसानों को बच्चों की शिक्षा, विवाह और अन्य पारिवारिक जरूरतों के लिए भी सहायता प्रदान करती है। यह उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करती है और उन्हें भविष्य के लिए आर्थिक रूप से तैयार करती है । बचत किसानों को ऋण के जाल से भी बचाती है। जब उनके पास पर्याप्त बचत होती है तो उन्हें उच्च ब्याज दर वाले ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उनके वित्तीय बोझ में कमी आती है। इस प्रकार, बचत किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है, जो उन्हें आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। किसानों के लिए पैसे बचाना एक महत्वपूर्ण कदम है जो उनकी आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को सुनिश्चित करता है। इस लेख में, विभिन्न व्यावहारिक तरीकों का वर्णन किया गया है जो किसानों को अपने वित्तीय संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।
पैसे बचाने के लिए फिजूल खर्ची से बचें
Denne historien er fra 1st September 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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रबी सीजन में इस विधि से करें प्याज की बुवाई
अगर प्याज की खेती करने का विचार बना रहे हैं, तो आज हम आपके लिए रबी सीजन में प्याज की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। आइये जानें, रबी सीजन में प्याज की अच्छी पैदावार के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है?
देश का भविष्य हैं प्रकृति की गोद में उगने वाले लंबे वनस्पतिक रेशे
भारत में जूट की खेती सदियों से होती चली आ रही है और यह उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराने तथा रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती चली आ रही है। 60 के दशक के दौरान जूट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जक था और 70 के दशक के \"स्वर्णिम काल\" तक इस खेती में चतुर्मुखी विकास हुआ। 80 के दशक के दौरान गिरावट शुरू हुई और कृत्रिम तंतुओं से कठोर प्रतिस्पर्धा के कारण जूट का गौरव घट गया।
सब्जियों के उत्पादन का मूल्यवर्धन तकनीक, प्रतिबंध और समाधान
वैश्विक स्तर पर सब्जियों के उत्पादन और विविध सब्जी उत्पाद के कारोबार में व्यापक वृद्धि हुई है। बढ़ती आय, घटते परिवहन लागत, नई उन्नत प्रसंस्करण तकनीक और वैश्वीकरण ने इस विकास के लिए प्रेरित किया है। लेकिन यह वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और प्रसंस्करण के धीमी विकास से मेल नहीं करता है। क्षय को कम करने, विस्तार और विविधीकरण के लिए प्रोसैस्सिंग सबसे प्रभावी उपाय है। प्रसंस्करण गतिविधियां, ताजा उपज के लिए बाजार के अवसरों में वृद्धि करते हुए मूल्य वृद्धि करते हैं तथा पोस्टहर्स्ट हानियों को कम करते हैं।
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या
विश्वभर में जलवायु परिवर्तन का विषय चर्चा का मुद्दा बना है। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती है तथा इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी जरुरत बन गई है।
टिकाऊ कृषि विकास के लिए मृदा स्वास्थ्य आवश्यक...
मृदा में उपस्थित जैविक कार्बन उसके प्राणों के समान है, जो मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों को बनाए रखने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक ऊष्मीकरण ने जैविक कार्बन की ह्रास की दर को और अधिक गति प्रदान की है, जिस कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही है। अतः मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने एवं कार्बन प्रच्छादन को बढ़ाने के लिए अनुशंसित प्रबंधन विधियों को अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है।
सब्जी उत्पादन का बढ़ता रुझान
सब्जियां हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं। सब्जियों से हमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जैसे प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम इत्यादि । ये पोषक तत्व हमें शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखने और लंबा जीवन जीने में सहायक बनाते हैं।
सस्य क्रियाओं द्वारा कीट नियंत्रणः
सस्य क्रियाओं द्वारा कीट नियंत्रण, किसान अपना उत्पादन तथा आमदनी बढ़ाने के लिए फसल उत्पादन की समरत विधियों में तकनीकों का उपयोग करता है। इसके अन्तर्गत फसल की किस्म, बुआई का समय एवं विधि, भू-परिष्करण, खेत और खेती की स्वच्छता, उर्वरक प्रबंधन, जल प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन और कटाई का समय आदि का समावेश होता है।
बदलते मौसम के अनुसार नर्सरी प्रबंधन
नर्सरी प्रबंधन में प्रतिकूल मौसम के प्रभाव के कारण किसानों को पूरी फसल में नुकसान हो सकता है। इसके प्रबंधन के लिए उन्हें नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे कि प्रो ट्रे में नर्सरी व पॉली टनल के माध्यम से हम बदलते हुए मौसम के अनुसार नर्सरी उत्पादन व उसका प्रबंधन कर सकते हैं क्योंकि इन तकनीकों का प्रमुख कार्य यह है कि हम नियंत्रित वातावरण में नर्सरी उत्पादन व उसका प्रबंधन कर सकते हैं।
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका प्रबंधन
धान एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जो पूरे विश्व की आधी से ज्यादा आबादी को भोजन प्रदान करती है। चावल के उत्पादन में सर्वप्रथम चाईना के बाद भारत दूसरे नंबर पर आता है।
कृषि-खाद्य प्रणालियों में एएमआर को नियंत्रण में करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं
रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी एएमआर एक ऐसी 'मूक महामारी', है जो न केवल इंसान और मवेशियों के स्वास्थ्य बल्कि खाद्य सुरक्षा और विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। आज जिस तरह से वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक्स दवाओं का बेतहाशा उपयोग हो रहा है, वो चिंता का विषय है। सैंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमैंट (सीएसई) लम्बे समय से रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बढ़ते खतरे को लेकर चेताता रहा है।