जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
Modern Kheti - Hindi|1st October 2024
जलवायु परिवर्तन अप्रत्यक्ष रूप से भी कृषि को प्रभावित करता है जैसे खरपतवार को बढ़ाकर, फसलों और खरपतवार के बीच स्पर्द्धा को तीव्र करना, कीट-पतंगों तथा रोगजनकों की श्रेणी का विस्तार करना इत्यादि।
पवन कुमार, नरेंदर कुमार और अमित कुमार
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन का अर्थ है वातावरण में दीर्घकालिक बदलाव, जिसमें तापमान, वर्षा, हवा की गति और मौसम के अन्य पैटर्न में परिवर्तन शामिल हैं। यह प्राकृतिक कारणों या मानव गतिविधियों जैसे प्रदूषण, औद्योगिकीकरण और वनों की कटाई के कारण हो सकता है, जिससे पृथ्वी का पर्यावरण प्रभावित होता है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दिशा में पहुंच रही है और पूरे विश्व में इसका असर देखने को मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक संकेतों जैसे भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और बर्फ के पिघलने के अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, खाद्य सुरक्षा और भूमि तथा समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है। जीवाश्म ईंधन के दहन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है जो पृथ्वी के चारों ओर लिपटे एक आवरण की तरह काम करता है। यह सूर्य की ऊष्मा को जब्त करता है और तापमान बढ़ाता है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान हिम गलन में तेजी ला रहा है, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और बाढ़ एवं कटाव की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित करता है। जलवायु में परिवर्तन भूजल पुनर्भरण, जल चक्र, मिट्टी की नमी, पशुधन और जलीय प्रजातियों को प्रभावित करेगा। जलवायु में परिवर्तन से कीटों और रोगों की घटनाओं में वृद्धि होती है, जिससे फसल उत्पादन में भारी नुकसान होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र और भी कई तरह से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि:

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