फराह मेढक मधुबन प्राइमरी स्कूल में 5वीं कक्षा में पढ़ती थी. उस का मन पढ़ाईलिखाई में खूब लगता था. वह बड़ी हो कर जंगल पुलिस में अधिकारी बनना चाहती थी.
आज एक मुहावरा उसे बड़ा परेशान कर रहा था. उस ने यह मुहावरा हिंदी की किताब में पड़ा था. लेकिन उसे इस का अर्थ समझ नहीं आ रहा था. आज स्कूल में हिंदी पढ़ाने वाले सर भी नहीं आए थे. अब उस की मुश्किल और बढ़ गई थी. उस ने सोचा आज वह घर जा कर अपनी दादी से इस का मतलब पूछेगी.
छुट्टी के बाद फराह घर लौट आई. उस की दादी खाना बना रही थी. उस ने दादी से कहा, "दादी, मुझे आप से कुछ पूछना है.”
"मुझ से क्या पूछना है? स्कूल में अपने टीचर से क्यों नहीं पूछती?” दादी बोलीं.
“दादी, आज टीचर नहीं आए थे. तभी आप से पूछ रही हूं,” फराह ने कहा.
“तुम क्या पूछना चाहती हो?” दादी ने पूछ.
“दादी, मैं ने एक मुहावरा पढ़ा था. दया, दया से आती, इस का क्या मतलब होता है, ” उस ने पूछा.
“अच्छा, तो तुम इस मुहावरे का मतलब जानना चाहती हो. यह बहुत सीधा और साधारण मुहावरा है. इस का मतलब तुम्हें अवश्य मालूम होना चाहिए,” दादी बोलीं.
“तभी तो मैं आप से पूछ रही हूं, बताइए न दादी, " फराह बोली.
“मैं आज तुम्हें एक कहानी सुनाऊंगी. उसी कहानी में इस मुहावरे का अर्थ छिपा होगा,” दादी बोलीं.
दादी की बात सुन कर फराह बहुत खुश हुई. दादी ने खाना बनाया. घर में फराह और सभी ने एकसाथ खाना खाया. शाम को फराह दादी के पास गई और कहानी सुनाने को कहने लगी.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.