कुछ ही दूरी पर स्ट्रीट मार्केट का हलचल भरा दृश्य था. फूलों, मेहंदी और धूप की सुगंध हवा में घुल गई थी, जिस से वातावरण बहुत ही सुहाना हो गया था, मतलब कि मुंह में पानी ला देने वाली भोजन की स्वादिष्ठ सुगंध हवा में घुल गई थी. व्यापारी हर तरह के बर्तनों को जोरजोर से हिला रहे थे और रोल कर रहे थे, भारी मात्रा में गरमागरम स्नैक्स को मिला रहे थे और उन्हें तेजी से कागज की प्लेटों पर और अपने काउंटरों पर रखे कटोरे में डाल रहे थे.
अपनेअपने और्डर का इंतजार कर रही लोगों की भीड़ ने प्लेटें पकड़ ली थीं. न केवल खानेपीने के स्टालों पर, बल्कि लकड़ी के बक्से, कढ़ाई वाले कालीन या पश्मीना शौल बेचने वाले स्टौल भी लोगों से खचाखच भरे हुए थे. जहां कुछ लोगों ने स्मृति चिन्ह के रूप में घर ले जाने के लिए चांदी के आभूषण खरीदे, वहीं कुछ ने मिश्रित मसाले, सूखे मेवे खरीदे. सेब, जूस और मिठाइयां खरीदीं.
लोग उत्सव के झिलमिलाते परिधान पहने हुए थे और पुरुषों की कलाइयां चमकदार रिबन और राखी से सजी हुई थीं.
अगर यह कोई आम दिन होता तो इस मार्केट में केवल पर्यटक ही उमड़े नजर आते. लेकिन आज रक्षाबंधन होने के कारण इस में स्थानीय लोगों के साथसाथ पर्यटकों की भीड़ भी दिखाई दे रही थी.
बच्चों से ले कर बड़ों तक के चेहरे उत्सव के उत्साह से चमक रहे थे. यहां तक कि अतिरिक्त सुरक्षा के लिए बाजार की सड़कों पर तैनात सैनिकों और पुलिस अधिकारियों के हाथों पर भी चमकदार राखी थीं जिन में से कुछ को उन की बहनों ने और कुछ स्थान स्कूल की लड़कियों ने बांधा था.
हर साल स्कूलों ने छात्राओं से उन सैनिकों के लिए जो अपने देश की रक्षा में जुटे हैं और देशभक्ति के भाइचारे के प्रतीक हैं, राखियां बनवा कर, सजा कर उन्हें भेज कर इस उत्सव को मनाया है. रूबीना और हीना ने सजावटी सामग्रियों से सुंदर राखियां बनाई थीं और उन्हें अपने शिक्षकों को सौंप दिया था.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.