आर्यन अपने दादादादी के बीते दिनों की कहानियां सुन कर बड़ा हुआ था. उस ने उन कहानियों से ही बहुत कुछ सीखा और जाना था, वह सबकुछ जो वह अपनी पाठ्य पुस्तकों या अपने हमउम्र दोस्तों से नहीं जान पाया था. उस ने सोचा कि दादादादी के पास अनुभवों का एक बड़ा खजाना है, जो कभी खत्म नहीं होगा.
हालांकि वह हमेशा अपने दादादादी के साथ आनंद लेता था, लेकिन इस बार नए साल पर वह अपने दादादादी के साथ पिकनिक पर जाना चाहता था.
आर्यन ने कहा, “दादादादीजी, मैं नए साल 2024 का पहला दिन आप के और आप के दोस्तों के साथ बिताना चाहता हूं. मैं और मेरे दोस्त पार्क में पिकनिक की योजना बना रहे हैं. हमें अच्छा लगेगा अगर आप और आप के दोस्त हमारे साथ शामिल हो सकें."
दादादादी की आंखें खुशी से चमक उठीं.
बच्चे विशेष पिकनिक की तैयारी करने में लग गए. उन्होंने रंगीन निमंत्रण कार्ड बनाए और उन्हें अपने आसपड़ोस के बुजुर्गों को दे दिया. उन्होंने अपने मातापिता की मदद से गाजर, सैंडविच, फल और घर में बने स्नैक्स से भरी पिकनिक टोकरियां भी तैयार कीं. आर्यन की मां ने उन की एक बड़े घड़े में ठंडा नीबू पानी बनाने में मदद की.
पिकनिक के दिन मौसम बहुत सुहावना था. जब आर्यन के दादादादी अपने मित्रों के साथ पार्क में आए तो पार्क हंसी की आवाज से चहक उठा. बच्चों ने अपने बुजुर्ग मेहमानों के लिए गद्दे और कुशन लगा कर एक नरम मुलायम बैठक बनाई थी, ताकि उन को आराम मिल सके. उन्होंने पार्क में 'नववर्ष 2024 का स्वागत' के पोस्टर भी लगाए थे.
Denne historien er fra January First 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra January First 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.