“सार्थक की वजह से," वह बड़बड़ाते हुए बोला.
मम्मी ने पूछा, “क्यों, सार्थक ने तुम्हें परेशान किया?’’
नील मुंह बनाते हुए बोला, "मम्मी, वह एक नंबर का चिपकू है, चिपकू."
मम्मी ने हैरानी से पूछा, “तुम उसे चिपकू क्यों कहते हो?”
नील ने कहा, "मम्मी, वह दिन भर मेरे पीछे लगा रहता है और आज..."
मम्मी ने पूछा, “आज क्या हुआ?”
नील ने बताया, “आज सीटिंग अरेंजमैंट चेंज हुआ है और अब एक महीने तक वह मेरे साथ ही बैठेगा.”
मम्मी मुसकरा कर बोलीं, “तो क्या हुआ?”
नील ने कहा, “मम्मी, आप मुसकरा क्यों रही हो? आप को पता है कि वह पूरे टाइम मेरे पीछे ही लगा रहता है."
मम्मी बोलीं, "इस में गलत क्या है? उस की आदतें खराब हैं क्या? वह होमवर्क पूरा कर के नहीं लाता तो उस में बुराई क्या है?”
नील बोला, "नहीं, उस में ऐसी कोई बुराई नहीं है, पर मुझे वह पसंद नहीं है, क्योंकि वह चिपकू है.”
मम्मी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, "बेटा, उसे अपना दोस्त बना लो."
"मैं उसे बिलकुल भी अपना दोस्त नहीं बनाऊंगा," यह कह कर नील खाना खाने बैठ गया.
मम्मी को समझ नहीं आया कि उसे कैसे समझाए. अब नील रोज स्कूल से आता और सार्थक के बारे में कुछ न कुछ बताता रहता. एक दिन जब नील स्कूल न से आया तो चुप था.
उसे चुप देख कर मम्मी ने कहा, "क्या बात है? आज सार्थक के बारे में बताने को कुछ नहीं है क्या?
नील ने कहा, "मम्मी, आज वह स्कूल नहीं आया.”
Denne historien er fra January Second 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra January Second 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.