केशवि पलंग से उतर कर बाहर आई तो देखा कि जबरदस्त बारिश हो रही थी. बस फिर क्या था? वह कमरे से बाहर आ गई, क्योंकि केशवि को बरसात के पानी में नहाना बहुत अच्छा लगता था.
वह सीढ़ियों के रास्ते छत पर गई तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गई. पानी निकलने वाले नाले में उस की निकर फंसी हुई थी जिस के कारण पानी इकट्ठा होने से छत स्विमिंग पूल जैसी नजर आने लगी थी.
"नील, तुम भी छत पर आ जाओ. देखो, यहां क्या हो गया है,” केशवि ने अपने छोटे भाई को आवाज लगाई तो वह भी आ गया.
"अरे वाह, एकसाथ दोनों का मजा. तेज बारिश और स्विमिंग पूल में तैर कर आज तो खूब मजा आएगा दीदी," कहते हुए नील पानी में कूद गया.
तभी उन्हें गली में शोर सुनाई दिया. केशवि ने नीचे झांक कर देखा तो वहां नदी बहती नजर आई. शहर का पानी इकट्ठा हो कर नदी की शक्ल में बह रहा था.
“छई, छपाक, छई,” बच्चों की पूरी टोली वहां जमा थी. कुछ तो हवा से भरी ट्यूब में बैठ कर तैर रहे थे. कुछ वैसे ही पानी में डुबकियां लगा रहे थे.
"स्विमिंग पूल तो हो गया, अब नदी में नहाने चलें?" केशवि ने कहा तो नील तैयार हो गया.
"बच्चो, अपना खयाल रखना. पानी का बहाव ज्यादा तेज हो तो वापस आ जाना,” मम्मी ने कहा.
पानी के बहाव में उन की हवा से भरी ट्यूब तैरने लगी तो दोनों ने उस पर सवार हो कर खूब मस्ती करनी शुरू कर दी.
बहते हुए पानी में लोगों के कपड़े, बरतन, साइकिलें और दूसरी सामान भी बहते हुए चला आ रहा था. केशवि ने पहली बार ऐसा नजारा देखा था. कुछ लोग तो अपने घरों से इन घटनाओं का वीडियो भी बना रहे थे.
"अरे, नील कहां चला गया, वह अभी तो यहीं था," तभी अचानक केशवि अपने छोटे भाई को वहां नपा कर घबरा गई. उस ने जोरजोर से "नीलनील” आवाज लगानी शुरू कर दी.
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