3 हजार फरजी कंपनियों से 15 हजार करोड़ का चूना
Manohar Kahaniyan|July 2023
नोएडा पुलिस ने डिजिटल सुविधा का फायदा उठाने वाले एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जिस ने डेढ़ साल में सरकार को 15 हजार करोड़ रुपए का चूना लगा दिया. इस गिरोह के 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इन के पास से 6 लाख 35 हजार लोगों के पैन कार्ड का डाटा मिला है. इन लोगों ने 3 हजार से अधिक फरजी कंपनियां बनाई थीं. ये शातिर जालसाज घोटालों के पोस्टर बौय बन चुके विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे अपराधियों के भी गुरु निकले. आखिर कैसे चल रहा था इन का ये रैकेट, समझिए इस दिलचस्प अपराध कथा से...
सुनील वर्मा
3 हजार फरजी कंपनियों से 15 हजार करोड़ का चूना

नीरव मोदी और माल्या के भी गुरु निकाले ये ठग

बात 10 मई, 2023 की है. गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के एडीशनल डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी अपने औफिस में बैठे एक फाइल को देख रहे थे, तभी उन के कमरे में उन के जानकार पत्रकार संदीप कुमार पहुंचे. वह नोएडा फिल्म सिटी सेक्टर10 में स्थित एक मीडिया संस्थान से जुड़े थे. पत्रकार को देखते ही उन्होंने अपने सामने रखी फाइल को एक तरफ सरका कर मुसकराते हुए कहा, आइए संदीपजी."

उन से हाथ मिलाने के बाद संदीप कुमार कुरसी पर बैठ गए तो एडिशनल डीसीपी बोले, "क्या लेंगे चाय या कौफी और आज हमारी कैसे याद आ गई?”

"बस सर, एक गिलास पानी पिलवा दीजिए. एक मुसीबत में पड़ गया हूं इसीलिए आप की मदद लेने के लिए आना पड़ा."

"ऐसी क्या प्राब्लम आ गई संदीपजी, आप लोग तो दूसरों की मदद करते हो. ऐसी कौन सी परेशानी है, जिस के लिए हमारी मदद की जरूरत पड़ गई." एडीसीपी शक्ति मोहन ने कहा.

"सर, प्राब्लम तो बहुत छोटी सी थी, लेकिन अब बड़ी हो गई है..."

संदीप कुमार ने एडिशनल डीसीपी से मुलाकात कर के जो कुछ बताया, उसे सुन कर अवस्थी के कान खड़े हो गए. उन्होंने उसी वक्त सेक्टर-20 थाने के एसएचओ मनोज कुमार सिंह को फोन कर के कुछ दिशानिर्देश दिए और इस मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित करने का आदेश दिया.

रअ रअसल, ये मामला ही ऐसा था. संदीप कुमार का पैन कार्ड कुछ समय पहले कहीं गिर गया था. इस मामले में उन्होंने पैन कार्ड गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कर डुप्लीकेट कार्ड तो बनवा लिया, लेकिन इस दौरान उन्हें पता चला कि उन के पैन कार्ड का इस्तेमाल कर 2 फरजी कंपनियां चलाई जा रही हैं.

एक कंपनी पंजाब के लुधियाना में और दूसरी महाराष्ट्र के सोलापुर में चलाई जा रही है. उन के पास कोई ऐसी अथौरिटी तो थी नहीं कि वे आगे की जांच कर पाते कि वे कंपनियां किस की हैं और उन में क्या चल रहा है. लिहाजा उन्होंने इसी की शिकायत के लिए एडीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी से मदद मांगी थी.

टीमों में बंटे हुए थे घोटालेबाज

Denne historien er fra July 2023-utgaven av Manohar Kahaniyan.

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