हसरतों में मिटी सीमा
Manohar Kahaniyan|October 2023
शक्की स्वभाव का मनोज दिवाकर पत्नी सीमा पर नर्स की नौकरी छोड़ने का दबाव डाल रहा था. तब सीमा ने नौकरी छोड़ने के बजाय पति को ही छोड़ दिया. फिर वह नरेंद्र सिंह यादव के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. बाद में नरेंद्र ने रिश्ते की भाभी सुनीता को फांस लिया. सच्चाई पता चलने पर सीमा नरेंद्र पर शादी का दबाव बनाने लगी. इस उलझन से निकलने के लिए नरेंद्र ने ऐसा कदम उठाया कि...
सुरेशचंद्र मिश्र
हसरतों में मिटी सीमा

सोलहवें वसंत ने जैसे ही सीमा दिवाकर को छुआ, उस के अंगप्रत्यंग मादकता से महक उठे. छरहरी होने के बावजूद उस के पुष्ट उन्नत उभार, पतली कमर और मांसल नितंब किसी की भी आंखों में चाहत की एक ज्योति जगा देते थे. इस संगमरमरी छवि के साथ ही उस की आंखों का कातिलाना अंदाज हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता था. उस का रूपरंग तो आकर्षक था, साथ ही उस का स्वभाव भी बड़ा मिलनसार था. उस का यही मोहक अंदाज हर किसी का मन मोह लेता था. नाम भले ही उस का सीमा था, लेकिन वह चाहने वालों को सीमा रेखा पार नहीं करने देती थी.

सीमा के पिता नरेश कुमार दिवाकर फतेहपुर जनपद के मलवां थाना क्षेत्र के अस्ता गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे अजय कुमार, विजय कुमार तथा एक बेटी सीमा थी. नरेश कुमार किसान थे. खेतीबाड़ी से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे. किसानी के काम में दोनों बेटे भी उन की मदद करते थे.

सीमा दोनों भाइयों से छोटी थी. इसलिए घर वालों की दुलारी थी. घर वाले उस की हर जिद पूरी करते थे. सीमा पढ़ने में भी तेज थी. हाईस्कूल पास करने के बाद उस ने ब्यूटीशियन का भी कोर्स किया था.

खूबसूरत सीमा ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो अन्य लड़कियों की तरह वह भी राजकुमार सरीखे जीवनसाथी के सपने देखने लगी. वह पढ़ीलिखी व खूबसूरत थी, लेकिन अहंकार या घमंड से वह कोसों दूर थी. हर किसी से घुलमिल कर और हंसहंस कर बातें करना उस के स्वभाव में शामिल था.

नरेश दिवाकर चाहते थे कि सीमा पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाए तो वह उस की शादी कर दें, लेकिन उन की पत्नी विमला उसे आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी. वह उस का विवाह कर ससुराल भेजना चाहती थी.

पत्नी की जिद के आगे नरेश को झुकना पड़ा और वह उस के लिए कोई सही लड़का देखने लगा. आखिर उन की तलाश मनोज दिवाकर पर जा कर खत्म हुई.

मनोज के पिता कन्हैया लाल दिवाकर कानपुर जनपद के कुरथा गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा एक बेटी रजनी तथा बेटा मनोज था. रजनी की वह शादी कर चुके थे, लेकिन बेटा मनोज अभी कुंवारा था. मनोज पढ़ालिखा नवयुवक था और वह सूरत (गुजरात) में किसी कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था. कन्हैया लाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

Denne historien er fra October 2023-utgaven av Manohar Kahaniyan.

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