किसी चमत्कार के इंतजार में सालों से दिन गुजार रहे रतिपाल और घर वालों को 22 साल बाद साधु वेश में अपना खोया बेटा पिंकू मिला तो सब की आंखें छलक उठीं थीं. बेटा मिलने की खुशी में रतिपाल ने दिल्ली से अपनी पत्नी माया देवी को भी बुला लिया. खोए बेटे पिंकू को साधु वेश में देखते ही मां भावुक हो गई. उस के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
दरअसल, संन्यासी की पारंपरिक पोशाक में आए एक युवक ने सारंगी बजा कर भिक्षा देने की गुहार लगा कर जैसे ही एक रुदन गीत गाना शुरू किया तो उसे सुन कर बड़ी संख्या में गांववाले एकत्र हो गए. जोगी ने अपने आप को गांव के ही रहने वाले रतिपाल सिंह का गायब हुआ बेटा बताया. रुदन गीत सुन कर गांव की महिलाओं और पुरुषों के साथ ही रतिपाल के घर वालों की आंखों से आंसू झरने लगे.
दरअसल, 22 साल से लापता अरुण उर्फ पिंकू के लौटने की खुशी में पूरा गांव रो पड़ा. घर वालों के आंसू तो थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. यह दृश्य उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के थाना जायज के गांव खरौली का था. तारीख थी 28 जनवरी, 2024.
बताते चलें कि साधु के वेश में अपने एक साथी के साथ आया वह युवक गांव के ही रतिपाल सिंह का बेटा अरुण उर्फ पिंकू था, जो 22 साल से अधिक समय तक लापता रहने के बाद अब संन्यासी के वेश में उन के सामने था. जब पिंकू लापता हुआ, उस समय वह 11 साल का था. अब पिंकू जोगी बन कर अपने गांव में मां से भिक्षा लेने पहुंचा था. इतने लंबे समय बाद अपने खोए बेटे को संन्यासी के रूप में सामने देख पिता व अन्य परिजन भावुक हो गए.
मां माया देवी, पिता रतिपाल के अलावा पिंकू की बुआओं उर्मिला व नीलम ने भी साधु वेश में आए पिंकू से गृहस्थ जीवन में लौटने की मिन्नतें कीं. लेकिन युवक की जुबान पर एक ही रट थी, 'आप से भिक्षा लिए बिना मेरी दीक्षा पूरी नहीं होगी. गुरु का आदेश है। कि मां के हाथ से भिक्षा पाने के बाद ही योग सफल होगा.' उस ने कहा, 'मां, यदि आप भिक्षा नहीं दोगी तो मैं दरवाजे की मिट्टी को ही भिक्षा के रूप में स्वीकार कर चला जाऊंगा.'
अब बेटा नहीं संन्यासी हूं मैं
साधु ने कहा, "माई, मैं अब आप का बेटा पिंकू नहीं, बल्कि संन्यासी हूं. मैं भिक्षा ले कर वापस झारखंड स्थित पारसनाथ मठ में दीक्षा पूरी करने के लिए चला जाऊंगा."
Denne historien er fra June 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra June 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
रेप के बाद नर्स का मर्डर
एक तरफ पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डाक्टर के साथ रेप और मर्डर की दरिंदगी का मामला पूरे देश में तूल पकड़े हुए था तो दूसरी तरफ उत्तराखंड में भी वैसी ही बर्बरता का मामला सामने आ गया. ड्यूटी से वापस अपने घर जा रही नर्स का अज्ञात लोगों ने अपहरण कर उस का रेप करने के बाद मर्डर कर दिया.
धार्मिक आयोजन के बाद हत्या
रायबरेली के नसीराबाद थाना क्षेत्र में 11 अगस्त, 2024 को अर्जुन पासी की हत्या धार्मिक आयोजन पर हुए विवाद को ले कर कर दी गई.
5 लाख के लालच में काट लाया सिर
अंधविश्वास में दिल्ली का एक युवक ऐसा फंसा कि उस ने दूसरे युवक की हत्या कर डाली. लालच 5 लाख रुपए बनाने का था, जो तंत्रमंत्र क्रिया पूरी होने के बाद मिलने वाले थे. इस के तहत एक युवक को किसी युवक का सिर काट कर लाने का औफर दिया गया था.
इंटरनैशनल किडनी गैंग
डा. डी. विजया राजकुमारी की देखरेख में चल रहा किडनी गैंग गरीब लोगों की किडनी 4-5 लाख में खरीद कर 35-40 लाख रुपए में बेचता था. आप भी जानें कि गैंग के सदस्य भारत के ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लोगों को किस तरह अपने जाल में फांस कर अपने काम को अंजाम देते थे.
ड्रम के नंबर से सुलझी मर्डर मिस्ट्री
हत्यारे ने 33 वर्षीय धर्मिष्ठा की हत्या कर ड्रम में डाल कर ऊपर से सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया था, जिस से लाश पूरी तरह से सेट हो गई थी. आखिर, ड्रम के नंबर के आधार पर पुलिस हत्यारे तक पहुंच ही गई. कौन था हत्यारा, उस ने धर्मिष्ठा की हत्या क्यों की और लाश ठिकाने लगाने का उस ने ऐसा नायाब तरीका क्यों अपनाया?
सऊदी से लौटे प्रेमी को मौत का तोहफा
26 वर्षीय मोहम्मद वसीम अंसारी अपनी 17 वर्षीया गर्लफ्रेंड नरगिस से मिलने के लिए बेताब था. उस से मिलने की खातिर वह सऊदी अरब से इंडिया आया. यहां उस की 17 टुकड़ों में कटी लाश पुलिस ने बरामद की. आखिर किसने और क्यों की वसीम अंसारी की हत्या?
एक टुकड़ा सुख
संस्था में सुनील से मुलाकात के होने के बाद मुक्ता के मन में संस्था से निकल कर अपनी लाइफ को अपनी तरह से जीने की उम्मीद जागी थी. सुनील ने भी उस की सोच को नए पंख दे दिए थे. लेकिन यह पंख भी मुक्ता को एक टुकड़ा सुख से ज्यादा कुछ न दे सके.
7 अजूबों से कम नहीं ये होनहार बच्चे
प्रतिभा न तो उम्र की मोहताज होती है और न ही सुखसुविधाओं की कुछ करने का जज्बा और हौसला हो तो दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है. भारत के कम उम्र के कुछ बच्चों ने कुछ ऐसा कमाल अपनी प्रतिभा से कर दिखाया है कि दुनिया दांतों तले अंगुली दबा रही है.
प्रेमियों के साथ मिटाया सिंदूर
2 बच्चों की मां पूजा संखवार एक नहीं बल्कि 3-3 प्रेमियों के साथ गुलछर्रे उड़ा रही थी. ससुराल वालों ने जब उस पर लगाम लगाने की कोशिश की तो उस ने अपने तीनों प्रेमियों के साथ मिल कर ऐसी खूनी योजना को अंजाम दिया कि...
जांघ पर गुढे 22 टैटुओं में छिपा गुरु की मौत का रहस्य
स्पा सेंटर में सोशल एक्टिविस्ट गुरु सिद्धप्पा वाघमारे की हत्या की जांच करने पुलिस पहुंची तो वाघमारे की दोनों जांघों पर 22 नामों के टैटू गुदे हुए थे. जांच में पता चला कि वे सभी नाम उस के दुश्मनों के थे. रोमांच से भरी इस कहानी में आप भी जानें कि टैटुओं के सहारे हत्यारों तक कैसे पहुंची पुलिस?