जाहिर है दीपिका की यह होली उनके जीवन में कुछ अलग रंग लेकर आई है। वैसे भी दीपिका शुरू से ही हर भारतीय उत्सव और समारोहों के लिए अपने उत्साह के लिए पहचानी जाती हैं।
दीपिका ने होली विषय छिड़ने पर कहा था, हालांकि अब मैं होली उत्सव पर रंग डालने का खेल नहीं खेलती और मुझे होली के नाम पर जबरदस्ती रंग डालना पसंद भी नहीं है, लेकिन फिर भी कहूँगी होली भारत में सबसे जीवंत और सबसे ज्यादा खुशी बाँटने वाले उत्सवों में से एक है, और यह मेरे दिल में एक स्पेशल स्थान रखता है। यह सबको पता है कि दीपिका होली त्योहार सिर्फ उनके साथ मनाना पसंद करती है जो दीपिका के अपने है या उनके दिल के करीब है। वो अपने प्यार और अपने नियर एंड डीयर वन्स के साथ उत्सव का आनंद लेने के बारे में चर्चा करते हुए होली के उत्सव पर अपना दृष्टिकोण जब रखती है तो लगता है जैसे बसंत के द्वार पर बचपन दस्तक दे रहा है।
क्या सोचती है दीपिका होली को लेकर? इस प्रश्न पर
दीपिका पादुकोण का मानना है कि होली के उपलक्ष में जो होलीडेज (छुट्टियां) मिलती है वो दरअसल लोगों को मिलने मिलाने का काम करता है और प्यार और एकता के गुणों का सम्मान करना सिखाता है। दीपिका ने कहा, दक्षिण भारत में जहां मैं पैदा हुई, वहां नॉर्थ इंडिया की तर होली नहीं खेला जाता है, हमारे लिए सबसे खुशी की बात यह थी कि उस दिन स्कूल की छुट्टी होती थी और साथ ही परिवार में बड़ों की भी छुट्टी होती थी। हमारे बिल्डिंग में मेरी कई सारी फ्रेंड्स भी थे, जिनके साथ मैं होली खेलती थी। उस समय में ऑर्गेनिक कलर्स नहीं मिलते थे और जो भी कलर्स होते थे वे पक्के रंग के होते थे। इसलिए मैं होली के कई दिन पहले से ही एक जोड़ी पुराने कपड़े, अलमारी से निकाल कर रखती थी जिसे मैं होली के दिन पहनकर होली खेलती थी। दोपहर तक मेरे कपड़े कई तरह के रंगों से इन्द्रधनुषी बन जाता था। कपड़े तो कपड़े, मेरे चेहरे, बालों और हाथ पैर भी पक्के रंग से इतने रंग जाते थे कि हफ्तों तक धोने पर भी नहीं साफ होते थे। मुझे याद है कि मेरी मॉम मुझे होली खेलने से पहले चेहरे, बाल, हाथ, पैरों में तेल लगाने के लिए कहती थी ताकि रंग जल्दी धुल सके। होली के दिन रंग खेलने के बाद हमें तुरंत बाथरूम में जाकर नहाने का आदेश होता था ताकि घर के अंदर रंग ना फैले।
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श्मशान घाट में रतन टाटा के पार्थिव शरीर को सितारों ने दी अंतिम विदाई...
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देश ने खोया एक अनमोल 'रतन'
बेमिसाल उद्यमी - आदर्श भारतीय उद्यमी रतन टाटा कहते थे, \"अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिए और अगर बहुत आगे जाना चाहते हैं, तो साथ चलिए.\"
गुडफेलोज रतन टाटा की एक अनोखी पहल
स्वर्गीय उद्योगपति रतन टाटा आजीवन अकेले रहे, उन्होंने कभी शादी की नहीं. शायद इसलिए ही वह अकेले रहने का दर्द जानते थे, और इसी दर्द को समझते हुए उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक अनूठी सेवा की शुरुआत की. इस सेवा का नाम है - गुडफेलोज.
पूरे जीवन में सिर्फ एक फिल्म बनाई थी रतन टाटा ने और तौबा कह उठे थे!
टाटा समूह के उद्योगपति स्वर्गीय रतन नवल टाटा 86 वर्ष की उम्र में गत 9 ऑक्टोबर 2024 को संसार से अलविदा कह गए। उनसे जुड़ी हुई तरह तरह की कहानियां लोग सुना रहे हैं। उन्ही कहानियों में एक किस्सा है उनके बॉलीवुड कनेक्शन का।
कैसे प्रतिष्ठित रतन टाटा की प्रोडक्शन फर्म ने अमिताभ बच्चन, जॉन अब्राहम, बिपाशा बसु अभिनीत बॉलीवुड फिल्म 'एतबार (2004)' बनाने का बीड़ा उठाया?
परोपकारी मेगा-उद्योगपति दूरदर्शी रतन टाटा का निधन हो गया कल एक दूरदर्शी कॉर्पोरेट नेता थे जिनके व्यवसाय नैतिकता के गतिशील प्रभावों पर विचार किया जाता है उत्कृष्टता की एक कालातीत पहचान।