गंदी बस्ती को अपने दम पर संवारें
Saras Salil - Hindi|November Second 2022
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज और डालीबाग के बीच एक बालू अड्डा में गरीबों की बस्ती है. बस्ती के बड़े हिस्से में कुछ लोगों ने गोदाम बना लिए हैं. इस के बाद भी वहां कुछ परिवार रहते हैं. इन परिवारों में स्कूल में जाने वाले तकरीबन 100 छोटेबड़े बच्चे भी रहते हैं.
शैलेंद्र सिंह
गंदी बस्ती को अपने दम पर संवारें

'लैट्स गिव होप' फाउंडेशन के संस्थापक आशीष मौर्या इस बस्ती से कुछ दूर रहते हैं. वे इन बच्चों को दिनभर इधर से उधर आतेजाते देखते थे. ये बच्चे कभी चौराहे पर भीख मांगते थे, तो कभी किसी दुकान में बरतन धोते थे.

आशीष मौर्या ने इन बच्चों के साथ बात करनी शुरू की, फिर धीरेधीरे इन के परिवार वालों के साथ भी बात की. बड़ी मुश्किल के बाद वे 10 बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी कर पाए.

साल 2019 में इन बच्चों का दाखिला नरही में बने एक सरकारी स्कूल में करा दिया. स्कूल में दाखिला होने के बाद बच्चों को कौपीकिताब, ड्रैस और खाना मिलने लगा. बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया. सब से बड़ी बात कि कोरोना में स्कूल बंद रहे तो भी ये बच्चे स्कूल के हिसाब से काम करते रहे.

जब कोरोना के बाद स्कूल खुले तो ये बच्चे वापस स्कूल आने लगे. इस से भी बड़ी बात यह है कि स्कूल में जब पैरेंट्स मीटिंग होती है, तब इन बच्चों में से कई के मांबाप उस में हिस्सा लेने जाते हैं.

आशीष मौर्या को भले ही बहुत थोड़ी कामयाबी हाथ लगी हो, लेकिन उस कामयाबी ने लोगों को एक राह दिखाई है कि गंदी बस्तियों को सुंदर बनाने के लिए जरूरी है कि वहां के बच्चो को भी पढ़ायालिखाया जाए. अब ये बच्चे अपनी बस्ती को सुंदर बनाने के लिए काम करते हैं.

सामाजिक सहयोग चाहिए

हर काम के लिए सरकार के सहारे बैठे रहना ठीक नहीं होता है. सरकार ने जो व्यवस्था बना कर रखी है, उस के जरीए जनता और समाज के लिए काम करने वाले लोगों को आगे आना चाहिए. यही नहीं, वहां जो लोग रहते हैं, उन्हें भी इस में हिस्सेदार बनना चाहिए.

Denne historien er fra November Second 2022-utgaven av Saras Salil - Hindi.

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