भोजपुरी सिनेमा में दर्जनों हिट फिल्में देने वाले मशहूर डायरैक्टर संजय श्रीवास्तव को लगातार 2 बार 'सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड' में 'बैस्ट डायरैक्टर' का खिताब मिल चुका है. वे भोजपुरी के एकमात्र ऐसे डायरैक्टर हैं, जिन्होंने ऐक्शन, कौमेडी, फिक्शन, आर्ट और सुपर नैचुरल हीरोज पर फिल्में बना कर भोजपुरी सिनेमा को बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया है.
आने वाले समय में संजय श्रीवास्तव की तकरीबन आधा दर्जन से ज्यादा फिल्में रिलीज होने को तैयार हैं. इन की जितनी भी फिल्में सिनेमाघर, टैलीविजन और डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुई हैं, उन सभी ने कमाई के झंडे गाड़ दिए हैं.
बीते दिनों संजय श्रीवास्तव से हुई एक फिल्म सैट पर मुलाकात के दौरान भोजपुरी फिल्मों की मेकिंग और बदलावों पर खुल कर बात हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :
आप पिछले 15 सालों से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर डायरैक्टर काम कर रहे हैं. तब से अब तक भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में आप को क्या बदलाव देखने को मिला है?
मैं ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था, तब न ही उतने संसाधन थे और न ही टैक्नोलौजी का इस्तेमाल हो पाता था. फिल्मों की स्क्रिप्ट भी फैमिली के आसपास ही घूम कर रह जाती थी. इस से सभी फिल्में एकजैसी ही लगती थीं. लेकिन आज के दौर में भोजपुरी सिनेमा में अच्छे विषयों पर स्क्रिप्ट लिखी जाने लगी हैं. फिल्मों की कहानियों में दोहराव कम हुआ है. अच्छे ऐक्शन सीन फिल्माए जाने लगे हैं.
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भोजपुरी सिनेमा की टूटती जोड़ियां
भोजपुरी सिनेमा में यह बात जगजाहिर है कि हीरोइनों का कैरियर केवल भोजपुरी ऐक्टरों के बलबूते ही चलता रहा है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में भोजपुरी के टौप ऐक्टरों के हिसाब से ही फिल्मों में हीरोइनों को कास्ट किया जाता है.
गुंजन जोशी तो 'फाड़' निकले
\"दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ऐक्टिंग की ट्रेनिंग ले कर आया तो था ऐक्टर बनने, पर बन गया फिल्म स्टोरी राइटर. इस फील्ड में भी मुझे दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का प्यार मिला, क्योंकि मेरा शौक एक आर्टिस्ट बनना ही था, जिस में राइटिंग, डायरैक्शन, ऐक्टिंग सब शामिल रहा है. मेरे आदर्श गुरुदत्त हैं, क्योंकि उन्होंने लेखन से ले कर अभिनय तक सब किया और दोनों में कामयाब रहे,\" यह कहना है गुंजन जोशी का.
सैक्स रोगों की अनदेखी न करें
सैक्स से जुड़े रोग आदमी और औरत दोनों में सैक्स के प्रति अरुचि बढ़ाते हैं. इस के साथ ही ये शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की परेशानियों को भी बढ़ाते हैं.
एक थप्पड़ की कीमत
वैसे तो रवि अपने एकलौते बेटे सोहम को प्यार करता था, पर जबतब उसे थप्पड़ भी मार देता था. एक दिन उस ने फिर वही सब दोहराया, लेकिन यह थप्पड़ उस पर ही भारी पड़ गया. लेकिन कैसे?
वर्मा साहब गए पानी में
वर्मा साहब की रिटायरमैंट गाजेबाजे के साथ हुई. घर पर दावत भी दी गई, पर उस के बाद उन की पत्नी ने ऐसा बम फोड़ा कि वर्मा साहब के कानों तले की जमीन खिसक गई...
नाजायज संबंध औनलाइन ज्यादा महफूज
सदियों से मर्दऔरतों में नाजायज संबंध बनते आए हैं. अब तो इस तरह के एप आ गए हैं, जहां औनलाइन डेटिंग की जा सकती है. इसे एक सुरक्षित तरीका बताया जाता है. क्या वाकई में ऐसा है?
कत्ल करने से पीछे नहीं हट रही पत्नियां
एक पारिवारिक झगड़े के मसले पर फैसला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि \"बीते डेढ़ दशक में प्रेम प्रसंगों के चलते होने वाली हत्याओं की दर बढ़ी है, जिस से समाज पर बुरा असर पड़ा है. इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.'
आसाराम का ढहता साम्राज्य
आसाराम के संदर्भ में आज का समय हमेशा याद रखने लायक हो गया है, क्योंकि धर्म के नाम पर अगर कोई यह समझेगा कि वह देश की जनता और कानून को ठेंगा बताता रहेगा, तो उस की हालत भी आसाराम बापू जैसी होनी तय है.
अडाणीजी यह राष्ट्रवाद क्या है ?
जिस तरह भारत के बड़े रुपएपैसे वाले, चाहे अडाणी हों या अंबानी की जायदाद बढ़ती चली जा रही है और दुनिया के सब से बड़े पूंजीपतियों की गिनती में इन को शुमार किया जाने लगा है, उस से यह संकेत मिलने लगा था कि कहीं न कहीं तो दो और दो पांच है.
सोशल मीडिया: 'पठान' के बहाने नफरती ट्रैंड का चलन
सुनामी चाहे कोई समुद्र उगले या कोई फिल्म, ज्वार का जोश ठंडा होने पर ही पता चलता है कि तबाही किस हद तक की थी. कुछ ऐसा ही महसूस हुआ फिल्म 'पठान' को ले कर.