सलीम जब अपने बिस्तर पर लेटा, तब उस की आंखों के सामने शबनम का चेहरा घूम गया. उस का मुंह बिचका कर बोलना, आंखों से इशारे करना और मांसल देह बारबार नजरों के सामने एक पिक्चर की तरह उस के मस्तिष्क में घूम रहा था. उस की आंखों से नींद गायब थी.
उस के दिमाग से उस की चंचल आंखें, अदाएं और मादकता के साथ मटकती देह हट ही नहीं रही थी. पहली मुलाकात में ही शबनम उस के दिल में उतर गई थी. वह उस से दोबारा मिलने के लिए बेचैन हो गया था.
दरअसल, सलीम का शबनम से आमनासामना पहली बार तब हुआ था, जब वह उस के मकान के एकदम पीछे अपने पति शरीफ और 3 बच्चों के साथ काफी समय से रह रही थी. उन का मकान उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में इसलाम नगर के मोहल्ला मुस्तफाबाद में है. सलीम का मकान नया, मगर अधबना है. करीब 40 गज के इस मकान से सटा ही शरीफ का मकान है.
विवाहित और 3 बच्चों का बाप सलीम 4 भाई हैं. वे मूलरूप से इसलाम नगर से करीब 25 किलोमीटर दूर आटा नामक गांव के रहने वाले हैं. वह गांव बहजोई हाईवे पर है. सलीम इसलाम नगर में पिछले 6 सालों से रह रहा था.
बात इसी साल सर्दियों के दिनों की है. सलीम के बच्चे छत पर धूप में गेंद से खेल से रहे थे. खेलतेखेलते उन की गेंद उछलती हुई शरीफ की छत पर चली गई. वहां से लुढ़कती गेंद बरसाती पन्नी के बनाए गए छप्परनुमा टटिया पर जा गिरी.
इस बारे में बच्चों ने सलीम को बताया और गेंद लाने को कहा. छत तो दोनों की मिली हुई थी, लेकिन शरीफ ने कमरे के आगे आंगन में बांसों से टटिया बना कर छत के आगे डाल ली थी.
30 साल की शबनम अपनी वासना को काबू में नहीं रख पाई. पति का प्रेम नहीं मिला तो उस की नजदीकियां सलीम से बढ़ गईं, जो उस के घर के पास ही रहता था. सलीम के साथ अब उस की हर रात सुहागरात जैसी होने लगी थी.
सलीम ने शरीफ की छत पर जा कर लंबे बांस से गेंद निकालने की कोशिश की. लेकिन गेंद फिसल पर शरीफ के घर में चली गई. तब सलीम ने छत से आवाज दी, लेकिन उस के घर से कोई जवाब नहीं आया. फिर वह अपनी छत से नीचे उतर कर सड़क के रास्ते से शरीफ के घर जा पहुंचा.
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