'अंजलि मैं तुम्हें भूल जाऊं ये हो नहीं सकता और तुम मुझे भूल जाओ ये मैं होने नहीं दूंगा...' फिल्म 'धड़कन' में सुनील शेट्टी ने यह डायलौग क्या मारा, नौजवानों को अपनी प्रेमिकाओं को अपनी मोहब्बत की ताकत दिखाने का जबरदस्त मसाला मिल गया.
बहुत से आशिकों ने सिचुएशन के मुताबिक इस डायलौग में थोड़ाबहुत फेरबदल कर के इजहारे मोहब्बत किया होगा. हर प्रेमी किसी न किसी मौके पर अपनी महबूबा के सामने यह डायलौग जरूर मारता है. इस डायलौग को सुन कर प्रेमिकाओं को भी लगता है कि उन का प्रेमी उन के लिए कितना पजेसिव है. 2 दशक से यह डायलौग प्रेमी दिलों की तड़प जाहिर करता आ रहा है.
लेकिन जब सुनील शेट्टी के डायलौग की तर्ज पर किरणपाल ने तमंचा लहराते हुए अपनी प्रेमिका मिथिलेश से कहा, "तू मेरी हो न सकी और मैं तुझे किसी और की होने न दूंगा..." तो मारे डर के मिथिलेश अपनी जान बचाने के लिए भागी.
मगर उस दिन किरणपाल के सिर पर इंतकाम का ऐसा भूत सवार था कि उस ने अपनी प्रेमिका पर गोली दाग दी. धांय... धांय... एक नहीं 2-2 गोलियां. वह तय कर के आया था कि बस अब यह प्रेम कहानी यहीं खत्म कर देनी है.
पहली गोली लगते ही मिथिलेश जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. किरणपाल उस के पास आया. खून से लथपथ जमीन पर पड़ी छटपटाती प्रेमिका को देख कर उस की आंखें भीग गईं.
वह पलभर उसे टकटकी लगाए निहारता रहा और फिर रोतेरोते उसके पर झुक गया. वह उस के तड़पते जिस्म को अपनी छाती से भींच कर रोने लगा और तमंचे का स्ट्रिगर फिर दबा दिया.
इस बार गोली मिथिलेश की छाती पर लगी और कुछ ही देर में उस की छटपटाहट भी शांत हो गई. आंखें मुंद गईं और गरदन एक ओर को लुढ़क गई. किरणपाल प्रेमिका के मृत शरीर से लिपट गया. उसे अपनी बांहों में लपेट कर फूटफूट कर रोने लगा.
अचानक उस ने तमंचे की नाल अपनी कनपटी से लगाई और स्ट्रिगर फिर दबा दिया. धांय के साथ गोली निकली और किरणपाल के लगी. यानी मिथिलेश को मार कर किरणपाल ने अपनी भी इहलीला समाप्त कर ली.
Denne historien er fra September 2022-utgaven av Satyakatha.
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