आशिया कुछ हफ्ते बाद ही 18 ही होने वाली थी. अम्मीअब्बू उस की शादी को ले कर चिंतित थे. वे उस के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ रहे थे. मनपसंद रिश्ता नहीं मिल पा रहा था. उन्हें शमशाद के आने का इंतजार था. वह महीनों से आए नहीं थे.
उन के बारे में आशिया की अम्मी हफ्ते भर से बातें कर रही थीं कि वह आएंगे तब उन की मुश्किल दूर हो जाएगी. बेटी का रिश्ता तय हो जाएगा. वह कई बार अपने शौहर से बोल चुकी थीं कि किसी से शमशाद के बारे में मालूम करें कि वह महीनों से क्यों नहीं आ रहे हैं.
शमशाद के बारे में अम्मी और अब्बू से बातें सुनसुन कर आशिया के मन में उन्हें देखने की इच्छा मचलने लगी थी. उस के दिल में निकाह को ले कर गुदगुदी होने लगी थी. उसे लगा जैसे उस की पसंद का दूल्हा चल कर उस के घर आने वाला हो. वह चुपके से रसोई में अम्मी से पूछ बैठी, "अम्मी शमशाद कौन है?"
"क्यों? क्या करना है उन के बारे में तुझे जान कर?" अम्मी झिड़कते हुए बोलीं.
“मेरी अच्छी अम्मी, प्यारी अम्मी बताओ न, कौन हैं शमशाद ? तुम अब्बू से उन के बारे में बातें करती रहती हो." आशिया ठुनकते हुए बोली.
"आएंगे, तब मिल लेना. और हां, जो कुछ तुम से पूछें, उस का सहीसही जवाब देना." अम्मी प्यार से उस के गाल पर एक चपत लगाती हुई बोलीं.
अम्मी का जवाब आशिया को बेहद ही प्यारा लगा. उस के मन की बेचैनी और बढ़ गई. उस की अल्हड़ उम्र सपने बुनने लगी.
वह दिन भी आ गया, जब घर पर शमशाद आए. उन्हें अम्मी और अब्बू ने बैठकखाने में बिठाया था. आशिया ने कमरे के दरवाजे के परदे से झांक कर देखा. उसे शमशाद की पीठ नजर आई. केश पीछे से आधे सफेद दिखे. वह चौंक गई, खुद से सवाल कर बैठी, "अरे यह कौन है ? यह तो कोई बुजुर्ग दिखता है."
“आशिया... आशिया... रसोई में आना बेटा. शमशाद के लिए चायनाश्ता लेकर चलना है." अम्मी की आवाज आई.
आशिया चुपचाप रसोई में चली गई. अम्मी से कुछ पूछे बगैर चायनाश्ते की ट्रे उठा ली और अम्मी के पीछेपीछे बैठक में आ गई. वहां पहले से ही अब्बू भी बैठे थे.
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