राजधानी दिल्ली से सटे गजियाबाद के कवि नगर थाने की पुलिस 35 वर्षीय महेंद्र राणा नाम के व्यक्ति की मौत को ले कर उलझ गई थी. उस की लाश की स्थिति और डबडबाए आंसुओं से भरी पत्नी समेत रोतेबिलखते बच्चों को देख कर पुलिस ने शुरुआत में आत्महत्या का मामला समझ लिया था.
दरअसल, उस की पत्नी कविता 30 नवंबर, 2022 की रात अपने पति महेंद्र राणा को गाजियाबाद के सर्वोदय अस्पताल में ले कर पहुंची थी. वह उसी अस्पताल में नर्स थी.
महेंद्र राणा की हालत देखते ही इमरजेंसी में तैनात डाक्टर ने कहा, "क्या कविता, इतनी समझदार नर्स हो कर भी तुम ने इसे लाने में देर क्यों कर दी?"
"सर! मैं इन की हालत देख कर घबरा गई थी... कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं ?" कविता रूआंसी हो कर बोली.
"ठीक है, ठीक है! अब जल्द से वार्डबौय को बुला कर औक्सिजन लाने को बोलो." कह कर डाक्टर ने महेंद्र के सीने को दोनों हथेलियों से दबा कर दिल को पंपिंग करना शुरू कर दिया.
डाक्टर के ऐसा करते ही महेंद्र के मुंह से कुछ निकलने लगा. तभी डाक्टर ने कहा, "अरे, यह क्या, इस के मुंह में गुटखा भरा है!... आ कर निकालो इसे!"
“जी सर !... यही तो मुसीबत है !! बारबार कह कर मैं थक गई हूं. इन का गुटखा छूटता ही नहीं है!" कविता बोली.
"ठीक है! ठीक है !! तुम्हारा पति जल्द अच्छा हो जाएगा... उस के बाद इसे समझा देना... गुटखा तो एकदम बंद कर दे...! और क्याक्या नशा करता है तुम्हारा पति ?" डाक्टर जांच के साथसाथ सवाल भी करते जा रहा था.
जैसे ही कविता आधी रात के करीब बेहोशी की हालत में अपने पति को इमरजेंसी के गेट पर ले कर आई, उस के साथ काम करने वाले दूसरी और वाले चौंक गए. उन्होंने कविता के पति को आटो से स्ट्रेचर पर लिटाने और इमरजेंसी वार्ड में पहुंचाने में मदद की.
वहां तैनात डाक्टरों ने भी देरी किए बगैर कविता के पति का इलाज शुरू कर दिया. तबतक कविता ने मरीज की भरती का पर्चा बनवा लिया था.
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