लालबत्ती
Satyakatha|March 2023
किरण को उस के पिता ने कोठे पर बेच दिया था. एक दिन वह किसी तरह वहां से भाग आई. इसी दौरान वह भीख मांगने वाले गैंग के चंगुल में फंस गई. इस दौरान उस की लाइफ में कई उतारचढ़ाव आए. फिर एक दिन लालबत्ती पर भीख मांगते हुए उस के जीवन में जो बदलाव आया...
वीरेंद्र बहादुर सिंह
लालबत्ती

बिजनैस की वजह से अनिकेत अकसर शहर से बाहर ही रहता था. इधर एक सप्ताह का समय मिला तो कविता उस के इस समय का सदुपयोग कर लेना चाहती थी. उस ने उसी बीच शौपिंग की तैयारी कर ली. क्योंकि नवरात्र के त्यौहार नजदीक आ रहे थे..

दोनों बच्चों के लिए कपड़े, चप्पल और जूते तो खरीदने ही थे, अपने और अनिकेत के लिए भी कुछ खरीदारी करनी थी. घर के लिए भी थोड़ाबहुत सामान खरीदना था. कविता जानती थी कि अगर आज उस ने यह काम न निपटाया तो बाद में अनिकेत से यही सुनने को मिलेगा, "प्लीज कविता, तुम बच्चों के साथ जा कर सारी खरीदारी कर लो न यार देख तो रही हो कि मेरे पास समय कहां है."

जल्दीजल्दी तैयार हो कर सभी घर से बाहर निकले. दोनों बच्चे ऋतु और राज  बहुत खुश थे. क्योंकि उस दिन उन्हें पूरे दिन पापा के साथ रहने को मिलने वाला था. सभी लोग गाड़ी में बैठ गए. ऋतु और राज पीछे बैठे थे तो कविता अनिकेत के बगल आगे वाली सीट पर बैठी थी.

अनिकेत ने कविता की ओर ताकते हुए कहा, "अरे वाह जानेमन, आज किस का कत्ल करने का इरादा है ? यलो और ग्रीन कलर की इस ड्रेस में तो तुम बहुत सुंदर लग रही हो."

कविता ने भी मजाक में कहा, "अब अकेले नहीं जिया जा रहा इसलिए..."

कविता की इस बात पर अनिकेत हंसने लगा तो उसी के साथ कविता भी हंस पड़ी. बच्चों की कुछ समझ में नहीं आया, पर मम्मीपापा को हंसते देख वे भी हंसने लगे.

अनिकेत की कार अपनी रफ्तार से आगे बढ़ी जा रही थी. शहर के एक जानेमाने मौल में उन्हें शौपिंग करनी थी. वे जिस रास्ते से जा रहे थे, उस रास्ते पर 2 ट्रैफिक सिग्नल पड़ते थे. पहला सिग्नल दिखाई दिया तो हरी बत्ती थी. अनिकेत ने कार की रफ्तार बढ़ा दी कि लालबत्ती होने से पहले ही सिग्नल पार कर जाए. पर ऐसा हुआ नहीं. सिग्नल तक पहुंचतेपहुंचते लालबत्ती हो गई. सिग्नल पर अनिकेत को कार रोकनी पड़ी.

Denne historien er fra March 2023-utgaven av Satyakatha.

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