“पता नहीं मीता, क्यों मुझे अक्सर थकान रहती है? जबकि सुबह जल्दी उठती हूं, फटाफट सबका नाश्ता, दिन का लंच तैयार करके अपने ऑफिस आ जाती हूं। यही नहीं, ऑफिस से वापस पहुंचकर भी सीधा घर के कामों में लग जाती हूं।" स्वीटी ने ऑफिस में सहकर्मी मीता से अपनी परेशानी साझा की। इस पर मीता ने मुस्कुराते हुए कहा, "पहले यह बताओ, तुम सुबह उठते ही अपने लिए कितना समय निकालती हो?
स्वीटी चौंकी और उसने हैरानी के साथ मीता को देखा। तब मीता ने समझाया, “इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कामकाज करती हैं। लेकिन अगर वे एक-दो काम ज्यादा करें या तेजी से करें तो इससे उनका रोजाना का व्यायाम स्तर पूरा नहीं होता। इसलिए पहले खुद के लिए समय निकालो और फिर बाकी कार्य करो तो तुम ज्यादा एनर्जी लेवल के साथ काम पूरा कर पाओगी। घर के काम पूरी तरह से व्यायाम का विकल्प नहीं हैं।"
■ पुराने समय से आज की तुलना
महिलाएं बहु प्रतिभाशाली होती हैं। आज के समय में तो महिलाएं घर और बाहर, दोनों काम देख रही हैं। अधिकांश महिलाओं का मानना है कि घरेलू काम ही पर्याप्त व्यायाम हैं और उन्हें खुद को फिट रखने के लिए किसी अन्य गतिविधि की जरूरत नहीं है। यही नहीं, अपनी बात को साबित करने के लिए वे पुराने जमाने की उपाधि भी कुछ इस तरह देती हैं, "क्या उस समय कोई जिम या व्यायाम उपकरण होते थे? तब भी तो सब स्वस्थ और फिट रहती थीं।" माना, उस समय महिलाओं को घर पर ही चक्की की सहायता से आटा पीसना पड़ता था, पूरे फर्श को मिट्टी, गोबर और पानी से लीपना पड़ता था। वे कसरत का अच्छे विकल्प थे, लेकिन आज के घरेलू काम नहीं। यह पूरी तरह सच है।
■ गृह कार्य भी शारीरिक मेहनत
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