घर ही तो बदला है
Rupayan|November 24, 2023
क्या आप भी अपने माता-पिता का ख्याल रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि ससुराल में हैं। लेकिन हर समस्या का हल होता है। अपने आस-पास देखिए, इसका हल भी आपको मिल जाएगा।
अनुवन्दना माहेश्वरी
घर ही तो बदला है

सुरभि अपने माता-पिता की सबसे लाड़ली संतान थी। बेटी होकर भी मां-पिता का ख्याल एक मां की तरह रखती थी, लेकिन जब से शादी होकर ससुराल आई, मायका छूट ही गया। उसे रह-रहकर माता-पिता की याद आती। शुरू में तो मायके आती-जाती रही, लेकिन कुछ ही वर्षों में अपने परिवार और बच्चों में उलझकर रह गई और चाहकर भी मायके आना-जाना बंद हो गया। इस वजह से वह आए दिन उदास रहने लगी। पति सिद्धार्थ ने जब सुरभि से पूछा तो उसने अपने दिल की बात बता दी, "सिद्धार्थ! क्या केवल बेटों को ही माता-पिता की सेवा का अधिकार है?" सिद्धार्थ कुछ नहीं बोल सका । कुछ ऐसा ही है महिलाओं का जीवन, लेकिन हर समस्या का हल होता है और इसका भी है। बस, कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप इस समस्या को आसानी से हल कर सकती हैं।

Denne historien er fra November 24, 2023-utgaven av Rupayan.

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शाप भी देते हैं पितर
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शाप भी देते हैं पितर

धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।

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पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
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शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।

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पिंडदान के अलग-अलग विधान
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व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।

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पितृपक्ष में दान
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भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।

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जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
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स्त्रियों को भी है अधिकार
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निस्संतान के श्राद्ध की विधि
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शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।

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