भाई-बहन के बीच का रिश्ता प्यार की मजबूत डोर से बंधा होता है। एक साथ बड़े होना, परेशानियों में पड़ना, साथ में निपटना, एक-दूसरे की शरारतों में साथ देना, पढ़ाई-लिखाई करना और हर मुश्किल में एक-दूसरे के लिए खड़े रहना ही तो इस रिश्ते की नींव है। लेकिन अक्सर इस प्यार भरे रिश्ते में शादी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बाद दूरियां बढ़ने के साथ ही तकरार होने लगती है। शादी के बाद लड़की के जीवन में नए रिश्ते जुड़ते हैं। उन रिश्तों को जानने और निभाने में भाई-बहन के रिश्ते में दूरी आ जाती है। कई बार परिवार की विचारधारा भी रिश्तों में दूरियां बढ़ा देती है। कभी-कभी परिवार का पक्ष लेने या उन्हें सही ठहराने की वजह से भी दोनों के बीच तनाव बढ़ जाता है। दरअसल, यह तकरार कभी स्थायी नहीं होती। रिश्तों की मजबूती के लिए दोनों पक्षों को अपनी-अपनी तरफ से समझदारी दिखानी चाहिए।
सामंजस्य जरूरी
कोई भी परिवार तब पूरा माना जाता है, जब उसमें माता-पिता के अलावा भाई-बहन भी हों। बचपन की मौज-मस्ती के लिए हमउम्र भाई-बहन का होना बहुत जरूरी है। बचपन में भाई-बहन के बीच प्यार बना रहता है। वहीं दोनों में जितना प्रेम होता है, उतने ही झगड़े भी होते हैं। बात-बात में मजाक उड़ाना और शिकायतें करना तो आम बात है। लेकिन ज्यादातर भाई-बहनों में आपसी स्नेह उनकी शादियों से पहले तक ही होता है। उसके बाद किसी न किसी बात पर बात बिगड़ ही जाती है। वहीं, मजाक में कही गई बात भी दिल पर लग जाती है। ऐसे में रिश्तों में प्यार और सही तालमेल बनाए रखने के लिए दोनों को कोशिशें करते रहना चाहिए।
भाभी का अहम रोल
Denne historien er fra May 24, 2024-utgaven av Rupayan.
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