महाकवि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के एक मशहूर बंगाली गीत की पहली पंक्ति है- 'एकला चलो रे', यानी अपनी मंजिल की तरफ अपने ढंग से आगे बढ़ो, लोग आपके पीछे खुद-ब-खुद चलने लगेंगे। अपने ढंग से आगे तभी बढ़ा जा सकता है, जब आपके अपने विचार हों और इसके लिए आपको चिंतन-मनन की जरूरत होती है। चिंतन भीड़ या शोर-शराबे में नहीं हो सकता, उसके लिए एकांत जरूरी है। एकांत में जो विचार हमारे दिमाग में आते हैं, उनको ही गढ़कर हम विचारधारा बनाते हैं और आगे बढ़ते हैं। इस एकांत में ही बहुत-कुछ नया रचा जाता है। यह नया कवि के लिए कोई गीत या कविता हो सकती है, चित्रकार के लिए कलाकृति हो सकती है, संगीतकार के लिए कोई धुन हो सकती है या फिर अपने मनपसंद किसी भी काम के लिए कुछ नया और रचनात्मक। ऐसे में इस एकांत के लिए घर में एक कोना होना बहुत जरूरी है।
खुद ही सोचिए कि आप सबसे अधिक रचनात्मक कहां और कब महसूस करती हैं? क्या वह घर का डाइनिंग रूम है, जहां परिवार के सभी लोग मौजूद होते हैं और शोर-शराबा भी खूब होता है या फिर घर की बालकनी, जहां एक छोटी-सी हलचल भी आपका ध्यान भटका देती है। शायद दोनों में से कोई नहीं, क्योंकि खुद की कला को बाहर लाने और उसे निखारने के लिए आपका अकेले रहना जरूरी है। अपने सपनों को साकार करने के लिए आपका अकेले रहना और सफलता हासिल करने के लिए एकांत जरूरी है। लिविंग रूम, डाइनिंग रूम, किचन की मेज, सोफा या बालकनी में रखी मेज, वास्तव में वह स्थान नहीं हो सकती, जिसका उपयोग आप रचनात्मक कार्यों को करने के लिए करना चाहती हैं। असल में अकेले रहना, कुछ देर अकेले बैठना नए विचारों को उत्पन्न करने में मदद करता है। वैसे तो अक्सर लोग रसोई की मेज, सोफा या अपने बेड रूम का उपयोग रचनात्मक कार्यों को करने के लिए करते हैं, लेकिन जो लोग एक नियोजित स्टूडियो में अपना रचनात्मक कार्य करते हैं, वे रुकावटों से दूर रहते हैं। लेखिका वर्जीनिया वुल्फ ने 1929 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'ए रूम ऑफ वन्स ओन' में लिखा है कि अगर आप लेखन में रुचि रखती हैं तो सबसे पहले आपके पास कुछ पैसे होने चाहिए और जो चीज आपके पास जरूर होनी चाहिए, वह है- अपना खुद का एक कमरा या स्थान।
Denne historien er fra June 14, 2024-utgaven av Rupayan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra June 14, 2024-utgaven av Rupayan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मन की साफ-सफाई
अचानक रीना ने गंभीर होते हुए कहा, \"मीता, मैं सोचती हूं, क्यों मन की सफाई भी कर लूं। आखिर भगवान जी हमारे दिल में ही तो विराजते हैं।\"
जहां देखो, बाल ही बाल
पेट्स दिन भर घर में दौड़-भाग करते हैं, इसलिए उनके बाल भी घर के हर कोने में नजर आते हैं, जिनकी सफाई आसान नहीं है।
याद रहे जन्मदिन पार्टी
आपके बच्चे का पहला जन्मदिन है। अगर आप इसे यादगार बनाना चाहत हैं तो आपको थीम से लेकर ढेर सारी तैयारियां करनी होंगी।
रिश्तों का 'डे आउट'
भाई-बहन के रिश्ते में शरारत होती है और होता है ढेर सारा प्यार। अगर ये सब पीछे छूट गया है तो आपको और आपके भाई को एक 'सिबलिंग डे आउट' की सख्त जरूरत है।
निखार नहीं और अगले महीने शादी!
जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे हैं, आपका निखार मुरझा रहा है। आपकी चिंता बढ़ गई है और तनाव दोगुना हो गया है। जानकार कहते हैं कि ऐसी स्थिति में आपको प्राकृतिक तरीकों और एक सही ब्यूटी रूटीन पर भरोसा करना चाहिए।
मंद-मंद मुस्कुराती सर्दी में आप
सर्दी ने अपने पंख फैल लिए हैं। ठंड का अहसास होने लगा है। इस सुहावने मौसम में आपको जरूरत है अदरक वाली चाय की चुस्की और आरामदेह तथा स्टाइलिश लिबास की।
थोड़ी बोरियत भी अच्छी!
क्या आप भी कोई काम करते-करते बोर हो जाती हैं, तो अपने फोन की ओर हाथ बढ़ाने के बजाय खुद को बोरियत की भावना में डूबने दें। जानकार कहते हैं कि बोरियत के कुछ पल आपकी रचनात्मकता और कार्यक्षमता को अनलॉक करने में मदद कर सकते हैं।
खाते-पीते आधी रात
जब मन हुआ, कुछ खा लिया। जब मन हुआ, कुछ पी लिया। मन नहीं भरता। कभी-कभी तो आधी रात में भी खाने की तलब लगती है। लेकिन क्या आपके शरीर को भोजन की इतनी जरूरत है?
अस्तित्व की तलाश
फूल! जिनकी आयु सबसे छोटी है, वह भी जरा-सा स्नेह रस पाकर जीवंत रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं?
इस आदत को बदल डालें
कुछ लोग बहुत परिश्रमी होते हैं और अपने समय का सदुपयोग करने के लिए पूरे दिन व्यस्त रहते हैं। लेकिन कहीं यह व्यस्तता आपकी आदत तो नहीं बन गई है?