खुद के लिए कितना स्पेस!
Rupayan|June 14, 2024
खुद के साथ बिताया गया समय सबसे अहम होता है। यह आपको खुद से जोड़ता है और कलात्मक एवं रचनात्मक कार्यों को करने के लिए आपके मन-मस्तिष्क को ऊर्जा देता है, जिससे आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाती हैं। लेकिन रचनात्मक कार्य करने के लिए आप अपना यह समय कहां बिताती हैं?
वसुंधरा वाथम
खुद के लिए कितना स्पेस!

हाकवि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के एक मशहूर बंगाली गीत की पहली पंक्ति है- 'एकला चलो रे', यानी अपनी मंजिल की तरफ अपने ढंग से आगे बढ़ो, लोग आपके पीछे खुद-ब-खुद चलने लगेंगे। अपने ढंग से आगे तभी बढ़ा जा सकता है, जब आपके अपने विचार हों और इसके लिए आपको चिंतन-मनन की जरूरत होती है। चिंतन भीड़ या शोर-शराबे में नहीं हो सकता, उसके लिए एकांत जरूरी है। एकांत में जो विचार हमारे दिमाग में आते हैं, उनको ही गढ़कर हम विचारधारा बनाते हैं और आगे बढ़ते हैं। इस एकांत में ही बहुत-कुछ नया रचा जाता है। यह नया कवि के लिए कोई गीत या कविता हो सकती है, चित्रकार के लिए कलाकृति हो सकती है, संगीतकार के लिए कोई धुन हो सकती है या फिर अपने मनपसंद किसी भी काम के लिए कुछ नया और रचनात्मक। ऐसे में इस एकांत के लिए घर में एक कोना होना बहुत जरूरी है।

खुद ही सोचिए कि आप सबसे अधिक रचनात्मक कहां और कब महसूस करती हैं? क्या वह घर का डाइनिंग रूम है, जहां परिवार के सभी लोग मौजूद होते हैं और शोर-शराबा भी खूब होता है या फिर घर की बालकनी, जहां एक छोटी-सी हलचल भी आपका ध्यान भटका देती है। शायद दोनों में से कोई नहीं, क्योंकि खुद की कला को बाहर लाने और उसे निखारने के लिए आपका अकेले रहना जरूरी है। अपने सपनों को साकार करने के लिए आपका अकेले रहना और सफलता हासिल करने के लिए एकांत जरूरी है। लिविंग रूम, डाइनिंग रूम, किचन की मेज, सोफा या बालकनी में रखी मेज, वास्तव में वह स्थान नहीं हो सकती, जिसका उपयोग आप रचनात्मक कार्यों को करने के लिए करना चाहती हैं। असल में अकेले रहना, कुछ देर अकेले बैठना नए विचारों को उत्पन्न करने में मदद करता है। वैसे तो अक्सर लोग रसोई की मेज, सोफा या अपने बेड रूम का उपयोग रचनात्मक कार्यों को करने के लिए करते हैं, लेकिन जो लोग एक नियोजित स्टूडियो में अपना रचनात्मक कार्य करते हैं, वे रुकावटों से दूर रहते हैं। लेखिका वर्जीनिया वुल्फ ने 1929 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'ए रूम ऑफ वन्स ओन' में लिखा है कि अगर आप लेखन में रुचि रखती हैं तो सबसे पहले आपके पास कुछ पैसे होने चाहिए और जो चीज आपके पास जरूर होनी चाहिए, वह है- अपना खुद का एक कमरा या स्थान।

Denne historien er fra June 14, 2024-utgaven av Rupayan.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra June 14, 2024-utgaven av Rupayan.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA RUPAYANSe alt
शाप भी देते हैं पितर
Rupayan

शाप भी देते हैं पितर

धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
Rupayan

हर तिथि का अलग श्राद्धफल

पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
Rupayan

पितृदोष में पीपल की परिक्रमा

शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
पिंडदान के अलग-अलग विधान
Rupayan

पिंडदान के अलग-अलग विधान

व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
पितृपक्ष में दान
Rupayan

पितृपक्ष में दान

भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
Rupayan

जैसी श्रद्धा, वैसा भोज

पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
स्त्रियों को भी है अधिकार
Rupayan

स्त्रियों को भी है अधिकार

यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
Rupayan

निस्संतान के श्राद्ध की विधि

शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
Rupayan

पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान

पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।

time-read
1 min  |
September 13, 2024
किस दिशा से पितरों का आगमन
Rupayan

किस दिशा से पितरों का आगमन

पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

time-read
2 mins  |
September 13, 2024