पिछले कुछ समय में एक्टिव लाइफस्टाइल जीनेवाले 40-45 साल के कई सेलेब्रिटीज के गुजर जाने की खबरों ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों युवाओं में हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास आनेवाले हार्ट डिजीज से ग्रस्त मरीजों में युवाओं की संख्या पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है। क्या बदलती जीवनशैली व खानपान की अनियमितता ने नाजुक से दिल को बड़े खतरे में डाल दिया है ? आखिर दिल के युवावस्था में बीमार हो जाने की वजह क्या है? हृदय रोग से संबंधित ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं डॉ. प्रवीण चंद्रा, चेअरमैन, इंटरवेंशनल एवं स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ संजीव गेरा, डाइरेक्टर एवं यूनिट हेड, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा, डॉ. संजय मित्तल, डाइरेक्टर, क्लीनिकल एंड प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ. ऋषि गुप्ता, चेअरमैन कार्डियक साइंसेज, एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद और डॉ. आनंद कुमार पांडेय, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली।
सेहतमंद जीवनशैलीवाले लोग भी दिल के रोगी बन रहे हैं। ऐसा क्यों होता है?
भले ही व्यक्ति नियमित रूप से चुस्त रहता हो और व्यायाम करता हो, लेकिन फिर भी आशंका रहती है कि उसकी रक्तनलिकाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही हों। रक्तनलिकाओं को कमजोर करने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन शराब व सिगरेट पीने, तनाव और सोने के गलत रुटीन के कारण व्यक्ति के शारीरिक रूप से चुस्त होने के बावजूद दिल की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
युवाओं में दिल की बढ़ती बीमारी का कारण क्या है?
इन दिनों अस्पतालों में दिल के दौरे से पीड़ित 30 से 40 साल के कई युवा मरीज आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस आयु समूह में कई युवा एवं एग्जिक्यूटिव्स बहुत तनाव झेलते हैं, वे बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं, कंपीटिशन में आगे बने रहना चाहते हैं। तनावपूर्ण जीवन से दिल की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचानेवाले हारमोन का स्राव बढ़ जाता है और इसके कारण दिल की बीमारी हो जाने की आशंका बढ़ जाती है।
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