सोनू को स्कूल जाना है और मम्मी को ऑफिस पापा बिजनेस टूर पर गए हैं। हेल्दी छोड़िए, नॉर्मल ब्रेकफास्ट भी कौन बनाए, फटाफट मम्मी ने दो सैंडविच ढेर सारा मेयो और चीज स्लाइस डाल कर बनाए और सोनू का टिफिन पैक साथ में फ्रूटी का एक कैन भी। साथ में पकड़ा दिया सौ का नोट कि और भूख लगे, तो कैंटीन से ले कर कुछ खा लेना।
यह लाइफस्टाइल तकरीबन हर उस फैमिली की है, जहां आपाधापी में ना हेल्दी खाना बनता है, ना खाया जाता है। इससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। चाइल्डहुड ओबेसिटी 21वीं सदी की सबसे बड़ी सेहत संबंधी चुनौती के रूप में सामने आयी है। कोविड 19 ने इसमें आग में घी का काम किया है। हालत यह है कि आज कम और मध्यम आयवाले देशों के 75 प्रतिशत से भी अधिक बच्चे मोटे हैं। यह खासकर शहरी इलाकों में तेजी से बढ़ा है। आपका बच्चा मोटा है या नहीं, यह जानने के लिए देखें कि क्या उसका वजन उसकी उम्र के हिसाब से सही है या ज्यादा।
एक आंकड़े के मुताबिक, अपने देश में 2 से 19 साल की उम्र के 1,41,000,00 बच्चे मोटापे की गिरफ्त में हैं। पिछले 3 दशकों में बच्चों में मोटापा दोगुनी रफ्तार से बढ़ा है।
एक अन्य रिपोर्ट की मानें, तो 2030 तक भारत में 5 से 9 साल के 10.81 प्रतिशत और 10 से 19 साल के 6.23 बच्चे ओबेसिटी की चपेट में होंगे। बच्चों में बढ़ती ओबेसिटी वाकई चिंता का विषय है और उनके लिए भविष्य में कई किस्म की सेहत संबंधी चिंताओं का कारण बन सकती है। मोटापा अब किसी रोग का लक्षण नहीं है, यह बीमारी का रूप ले चुका है।
कारण क्या हैं
खराब डाइट: फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, नयी दिल्ली में पीडियाट्रिक्स विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सपन विनायक कहते हैं कि बच्चों में मोटापे की सबसे बड़ी वजह है उनकी डाइट में आया बुरा बदलाव। बच्चे आजकल ऐसी हाई कैलोरीवाली डाइट ले रहे हैं, जिसमें फैट और शुगर तो बहुत होता है, लेकिन विटामिन्स, मिनरल्स और दूसरे हेल्दी न्यूट्रिएंट्स बहुत कम मात्रा में। इससे उनकी बॉडी में अनचाहा फैट जमा होता है।
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