बड़ी तादाद में लोग जिंदगी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, पर बावजूद इसके दुख की बात यह है कि आत्महत्या के मामले कम नहीं हुए हैं। समाचारों और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्रीज में कई किस्से मिलेंगे, जिसे देख पढ़ - सुन कर लगता है, उनके पास सब कुछ तो है, फिर आखिर कौन सी ऐसी मजबूरी या मानसिक दबाव रहा होगा कि आत्महत्या की नौबत आ गयी! शायद यही वजह है कि देश-विदेश के मनोचिकित्सकों और शोधकर्ताओं के सामने 'आत्महत्या' एक बड़ी समस्या का विषय है। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल वैश्विक स्तर पर आत्महत्या के कारण 8 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हर 40 सेकेंड में कम से कम एक व्यक्ति की मौत आत्महत्या के कारण होती है। 2016 में 15-29 आयु वर्ग में बीच हुई मौतों का पहला कारण सड़क दुर्घटना थी, वहीं इन मौतों का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या थी। वैश्विक आत्महत्याओं के 79 प्रतिशत से अधिक मामले निम्न और मध्यम आयवाले देशों में हुए, जबकि उच्च आयवाले देशों में प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 11.5 थी। गुरुग्राम के एथना बिहेवरियल हेल्थ की सीईओ व फाउंडर श्रद्धा मलिक बताती हैं कि इन दिनों आत्महत्या के मामलों की जो मुख्य वजहें हैं, उन पर लोग चर्चा करने से बचते हैं। पर समय से लोग इसे समझें और मनोचिकित्सक से मिलें, तो हालात बेहतर बनेंगे।
क्या है आत्महत्या की वजह
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