समय रहते अगर बच्चों में दांतों की छोटी-मोटी दिक्कतों पर ध्यान दे दिया जाए, तो वे जल्दी ठीक हो जाती हैं।
जिस तरह से बच्चों के जन्म के बाद टीदिंग यानी दांत आना एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन होता है, वैसे ही दूसरा माइलस्टोन होता है बच्चों के दूध के दांत टूटना। इस समय तक बच्चे समझदार हो तो जाते हैं, लेकिन दांत हिलने और टूटने तक कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करते हैं। बच्चों के दूध के दांत 5-6 साल की उम्र से हिलना शुरू हो जाते हैं और अमूमन उसी क्रम में टूटना शुरू होते हैं, जिस क्रम में आते हैं। हालांकि समय के साथ हमारे शरीर में कई जेनेटिक बदलाव भी आए हैं, जिस वजह से बच्चों के दांत देरी से टूट रहे हैं। यह जरूरी नहीं है कि 5 साल के बाद से मिल्क टीथ हिलना शुरू हो जाएं। कुछ बच्चों में यह प्रक्रिया देरी से शुरू होती है। डॉक्टर्स के मुताबिक यह बेहद आम सी बात है। आजकल कई जेनेटिक बदलावों के कारण हर बच्चे की ग्रोथ व डेवलपमेंट अलग होती है।
जब दांत टूटने में देरी होने लगे
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