महर्षि दधीचि द्वारा लोकहित में अपनी अस्थियां दान कर देने की कथा हम सबने पढ़ी होगी। उनकी अस्थियों से देवराज इंद्र ने तेजवान नामक वज्र बनाया, जिससे उन्होंने वृत्रासुर का वध करके तीनों लोकों को उस राक्षस के भय से बचाया था। आज के दौर में इस कथा पर आस्था हो या नहीं, पर अंगदान जैसे पवित्र कार्य की आज बहुत जरूरत है। यह ऐसा दान है, जो केवल एक इंसान ही कर सकता है। अंगदान यानी ऑर्गन डोनेशन करके आप मरणासन्न व्यक्ति को जीवनदान दे सकते हैं। ऑर्गन डोनेशन क्यों जरूरी है, इसे कैसे कर सकते हैं, किस तरह इससे रोगियों को जीवनदान मिलता है जैसे अनेक प्रश्नों के साथ हमने मुलाकात की डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ से, जो दिल्ली स्थित मनीपाल अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के चेअरमैन और मनीपाल ऑर्गन शेअरिंग एंड ट्रांसप्लांट के हेड हैं। उन्होंने हमें महत्वपूर्ण जानकारी दी।
ऑर्गन डोनेशन में बाधा
अब लोग अपने देश में ऑर्गन डोनेट करने लगे हैं। डॉ. अवनीश 20 सालों से इस मुहिम में जुटे हैं। पिछले साल भारत में पहली बार 1000 लोगों ने अपना अंगदान किया। स्पेन ऑर्गन डोनेशन में सबसे आगे है, वहां 1200 लोग हर साल ऑर्गन डोनेट करते हैं। अंगदान तो ब्रेन डेथ की कंडीशन में ही हो सकता है, नॉर्मल डेथ में नहीं। अपने यहां सबसे बड़ी मुश्किल ब्रेन डेथ को ले कर होती है कि हार्ट तो अभी चल रहा है, पर कैसे कह सकते हैं कि यह इस दुनिया में नहीं है। इसके लिए स्कूल लेवल से ही एजुकेट करना चाहिए। एनसीईआरटी ने अपने सिलेबस में इसे शामिल कर लिया है।
ऑर्गन डोनेशन कैसे करें
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