ट्रैक्टर की सहायता से खेती के काम आसानी से किए जा सकते हैं. मेहनत और समय की बचत भी होती है.
बाजार में अनेक कंपनियों के अनेक तरह के ट्रैक्टर मौजूद हैं. उन की कार्यक्षमता के अनुसार उन की कीमत में भी उतारचढ़ाव होता रहता है.
फार्मट्रैक ट्रैक्टर
इस कंपनी का ट्रैक्टर एस्कौस समूह का विश्वसनीय ब्रांड है, जो एशियाई देशों में सब से अधिक पसंदीदा ब्रांड है. ये ट्रैक्टर अपनी बहुमुखी और अनूठी विशेषताओं के लिए अत्यधिक जाने जाते हैं.
फार्मट्रैक के 25 से 80 एचपी श्रेणियों में अनेक मौडल बाजार में उपलब्ध हैं. फार्मट्रैक के सब से लोकप्रिय मौडल संबंधित क्षेत्रों में फार्मट्रैक 45, फार्मट्रैक 60, फार्मट्रैक 6055 और क्लासिक टी 20 हैं.
फार्मट्रैक ट्रैक्टर की कीमत तकरीबन 5 लाख रुपए से शुरू होती है. कंपनी का सब से महंगा ट्रैक्टर फार्मट्रैक 6080 ऐक्स प्रो है, जिस की कीमत तकरीबन 80 एचपी में 13.50 लाख रुपए है.
मैसी फर्ग्यूसन लिमिटेड (टैफे)
यह एक बहुराष्ट्रीय ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है. भारत के किसानों में यह ट्रैक्टर अपनी इंजन पावर, माइलेज और साधारण लुक की वजह से खासा लोकप्रिय है.
मैसी फर्ग्यूसन के ट्रैक्टर मौडल 25 एचपी से 75 एचपी के मध्य उपलब्ध हैं. कंपनी के सब से लोकप्रिय मैसी ट्रैक्टर मौडल मैसी फर्ग्यूसन 241 डीआई महाशक्ति, मैसी फर्ग्यूसन 1035 डीआई और मैसी फर्ग्यूसन 7250 पावर अप हैं.
इस कंपनी के ट्रैक्टरों की कीमत 4.50 लाख से शुरू हो कर 15.20 लाख रुपए के बीच है.
जॉन डियर ट्रैक्टर
भारत में जॉन डियर ट्रैक्टर आज अच्छाखासा ब्रांड बन गया है. ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों में जॉन डियर एक अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड है. जॉन डियर भी किसानों का लोकप्रिय ट्रैक्टर है. अपने तकनीक और टिकाऊ होने के कारण इस ट्रैक्टर की बिक्री में काफी बढ़ोतरी देखी गई है.
जॉन डियर के 28-120 एचपी श्रेणियों में अनेक मौडल बाजार में उपलब्ध हैं. सब से लोकप्रिय जॉन डियर ट्रैक्टर मौडल जॉन डियर 5105, जॉन डियर 5050 डी, जॉन डियर 5310 हैं.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?