बीज गाल (पिटिका) निमेटोड (एंगुनिया ट्रिटीसाई) : इस निमेटोड की मादा से 12 दिनों के अंदर 1,000 अंडे नए गाल (पिटिका) के अंदर देती है. जब फसल पकने वाली होती है, तो पिटिका भूरे रंग की हो जाती है. दूसरी अवस्था वाले लार्वे पिटिका में भर जाते हैं. दूसरी अवस्था के लार्वे 28 साल पुरानी बीज पिटिका में जीवित अवस्था में पाए गए हैं. फसल की कटाई के समय स्वस्थ बीज के साथ पिटिका से ग्रसित बीज भी इकट्ठा कर लिए जाते हैं.
जब अगले साल की फसल की बोआई की जाती है, तो अगला जीवनचक्र फिर शुरू हो जाता है. 1 बीज पिटिका में तकरीबन 3,000 से 12,000 दूसरी अवस्था वाले लार्वे पाए गए हैं. जब ये लार्वे नमी वाली भूमि के संपर्क में आते हैं, तो नमी सोखने के कारण मुलायम हो जाते हैं. ये पिटिका को फाड़ कर बाहर निकल आते हैं.
लार्वे की दूसरी अवस्था हानिकारक होती है इस अवस्था के लार्वे भूमि से 10 से 15 दिनों में बाहर आ जाते हैं और बीज के जमने के समय हमला कर देते हैं.
लार्वे बीज के जमने वाले भाग से ऊपर पौधे के चारों ओर बढ़ने वाले क्षेत्र में और पत्ती की सतह में पानी की पतली परत के सहारे ऊपर चढ़ जाते हैं. ये पत्ती के बढ़ने वाले भाग से पत्ती की चोटी पर चढ़ जाते हैं.
पौधे की बढ़वार अवस्था में फूल के बीज बनने वाले स्थान पर निमेटोड हमला करते हैं और लार्वे फूल के अंदर चले जाते हैं.
इस अवस्था में निमेटोड बीज बनने वाले भाग में रहते हैं और संख्या बढ़ने के कारण फूल पिटिका में बदल जाते हैं. लार्वे 3 से 5 दिनों में फूलों पर आक्रमण कर के नर व मादा में परिवर्तित हो जाते हैं. बहुत से नर व मादा हरी पिटिका में मौजूद रहते हैं.
नुकसान के लक्षण
निमेटोड से ग्रसित नए पौधे का नीचे का भाग हलका सा फूल जाता है. इस के अलावा बीज के जमाव के 20-25 दिनों बाद नए पौधे के तने पर निकली पत्ती चोटी पर से मुड़ जाती है. रोग ग्रसित नए पौधे की बढ़वार रुक जाती है और अकसर पौधा मर जाता है. रोग ग्रसित पौधा सामान्य दिखाई देता है. उस में बालियां 30-40 दिनों पहले निकल आती हैं.
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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