बोने का समय : आमतौर पर जौ की बोआई अक्तूबर से दिसंबर माह तक की जाती है. असिंचित क्षेत्रों में 20 अक्तूबर से 10 नवंबर तक जौ की बोआई करनी चाहिए, जबकि सिंचित क्षेत्रों में 25 नवंबर तक बोआई कर देनी चाहिए. पछेती जौ की बोआई 15 दिसंबर तक कर देनी चाहिए.
खेत की तैयारी : जौ की बोआई के लिए 2-3 बार देशी हल या तवेदार हल से जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को भुरभुरा कर देना चाहिए, जिस से बीजों का अंकुरण अच्छी तरह से हो सके.
बीज की मात्रा : असिंचित क्षेत्रों में जौ के बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. सिंचित क्षेत्रों में जौ के बीज की मात्रा 75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. पछेती जौ की बोआई लिए बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है.
बोआई की विधि : जौ की बोआई छिटकवां विधि व लाइन में की जाती है. छिटकवां विधि में हाथ से पूरे खेत में बीजों को बिखेर दिया जाता है.
इस विधि से पूरे खेत में एकसमान बीज नहीं गिर पाते हैं. लिहाजा, बोआई लाइनों में करें. जागरूक किसान जौ की बोआई हल के पीछे लाइनों में करते हैं या खेत तैयार हो जाने पर डिबलिंग विधि द्वारा बीज बोते हैं.
खाद व उर्वरक : जौ की अच्छी पैदावार खाद व उर्वरक की मात्रा पर निर्भर करती है. जौ में हरी खाद, जैविक खाद व रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. खाद व उर्वरक की मात्रा जौ की किस्म, बोने की विधि, सिंचाई की सुविधा वगैरह पर निर्भर करती है. जौ की खेती के लिए असिंचित जमीन में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के समय लाइन में बीज के नीचे डालते हैं.
सिंचित जमीन में 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के समय लाइन में बीज के नीचे डालते हैं. 30 किलोग्राम नाइट्रोजन पहली सिंचाई के समय टौप ड्रैसिंग के रूप में डालते हैं.
Denne historien er fra November First 2022-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra November First 2022-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?