जिन किसानों का खेती से मोह भंग हुआ है, उन में से ज्यादा तादाद छोटे और मझोले किसानों की है, क्योंकि ये किसान रूटीन खेती के चलते खुद के खानेभर का नहीं उगा पाते हैं. ऐसे में वे नहीं चाहते हैं कि उन की अगली पीढ़ी भी अभावों में जिए, इसलिए ऐसे किसान अपने बच्चों को पढ़ालिखा कर नौकरियों और दूसरे व्यवसाय के योग्य तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं.
इन किसान परिवारों से जो लोग इस काबिल हो रहे हैं, वे बाहर जा कर पैसे कमा रहे हैं. ऐसे लोग एक बार भी खेतीबारी और गांव की तरफ मुड़ कर नहीं देख रहे हैं. इस वजह से उन के पुरखों की जमीन बंजर हो रही है. बड़े किसानों द्वारा औनेपौने दामों पर वे जमीनें खरीद ली जाती हैं.
खेती से मोह भंग होने की एक वजह यह भी है कि सरकारी मशीनरी से ले कर आम लोगों का नजरिया भी किसानों के प्रति सम्मानजनक न होना है. चूंकि खेती काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करती है. ऐसे में कभीकभी खेती में आपदा, कीट व रोग की मार किसानों की कमर तोड़ देती है.
एक बार जब किसान की पूंजी डूबती है, तो कर्ज और नुकसान के चलते खेती से किनारा करना उन की मजबूरी बन जाती है.
इन्हीं समस्याओं और जोखिमों को मात दे कर जो लोग खेती को आधुनिक तरीके से करते हैं, वे न केवल खेती से धंधे के रूप में अच्छाखासा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि उन्हें सम्मान के नजरिए से भी देखा जाने लगा है.
खेती में अच्छा करने वालों को अब कई बड़े सम्मान भी मिलने लगे हैं, जिस में पद्मश्री से ले कर भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा भी नकदी, मोमैंटो और प्रमाणपत्र के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाने लगा है. इस की महज यही वजह है कि दूसरे लोग इन सफल किसानों से सीख ले कर खेतीबारी को अपना कर लाभ कमा पाएं.
देश में ऐसे बहुतेरे किसान, वैज्ञानिक, कृषि संस्थान, संगठन और कृषि पत्रकार हैं, जो खेती के जरीए नाम और पैसा दोनों कमा रहे हैं. देश के ऐसे ही चुनिंदा कृषि महारथियों को हर साल 'फार्म एन फूड' द्वारा डिस्ट्रिक्ट लेवल, स्टेट लैवल व नैशनल लैवल पर अवार्ड दिया जाता रहा है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?