गन्ने की नई प्रजातियों से ले अधिक उत्पादन
Farm and Food|February First 2023
डा. ऋषिपाल, डा. जयप्रकाश कन्नौजिया, अजय यादव, डा. रघुवीर सिंह, डा. हिमांशु शर्मा
गन्ने की नई प्रजातियों से ले अधिक उत्पादन

न्ना भारत की फायदेमंद नकदी फसल है. गन्ना उष्ण कटिबंधीय व उपोष्ण देशों में उगाया जाता है. भारत में कपड़ा उद्योग के बाद चीनी उद्योग का दूसरा ग स्थान है. दुनिया के कुल 114 देशों में चीनी का उत्पादन 2 फसलों गन्ना व चुकंदर के द्वारा किया जाता है. दुनिया के खास गन्ना उत्पादक देश ब्राजील, भारत, क्यूबा, चीन, मैक्सिको व फिलिपींस हैं.

गन्ने के रकबे में भारत पहले स्थान पर है, परंतु चीनी उत्पादन में भारत ब्राजील के बाद गन्ने का दूसरा सब से वैश्विक चीनी उत्पादक और दुनिया का खास चीनी उपभोक्ता है. यह 11.08 मिलियन टन चीनी का उत्पादन करता है. वैश्विक चीनी का लगभग 70 फीसदी गन्ने से मिलता है. भारत का कुल गन्ना खेती रकबा लगभग 5.08 मिलियन हेक्टेयर है और उत्पादन 68 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 350.02 मिलियन टन है.

गन्ने की फसल से 100 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें उन्नत प्रजाति, समन्वित पोषक तत्त्व, नवीन विधियों द्वारा बोआई एवं रोग व कीटों के प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए.

खेत की तैयारी

खेत को तैयार करने के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जोत कर 3 बार हैरो से जुताई करें. देशी हल की 5 से 6 जुताइयां काफी होती हैं. अंतिम जुताई के समय गोबर, कंपोस्ट, प्रेसमड (चीनी मिल से मिलने वाली) का इस्तेमाल जरूर करें और इस को 10-15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें. आखिरी जुताई के समय पाटा लगाएं.

मिट्टी व आबोहवा

गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली भारी मिट्टी पसंद की जाती है. हालांकि यह मध्यम और हलकी बनावट वाली मिट्टी पर भी सुनिश्चित सिंचाई के साथ अच्छी तरह से बढ़ती है. 0.5 फीसदी के साथ मिट्टी में 0.6 फीसदी कार्बन और पीएच मान 6.5-7.5 गन्ने की बढ़वार के लिए सब से मुनासिब है.

बीज एवं बीजोपचार

Denne historien er fra February First 2023-utgaven av Farm and Food.

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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
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वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

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सर्दी की फसल शलजम
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कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

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राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
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हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

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करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
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दिसंबर महीने के जरुरी काम
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आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.

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भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.

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खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

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