जलवायु
यह ठंडे मौसम की फसल है, लेकिन इसे कई तरह के वातावरण में उगाया जा सकता है, परंतु यह फसल ज्यादा और गरमी, बारिश सहन नहीं कर पाती है. शुरू में बढ़वार के दौरान कम तापमान में असमय फुलन और अचानक तापमान में बढ़ोतरी होने पर छोटे आकार की गांठें बन जाती हैं.
जमीन
प्याज की खेती बलुई दोमट से ले कर चिकनी दोमट मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी प्याज पूसा रिद्धि Onion Pusa Riddhi D.P. 18/12/2021 पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सही है. प्याज की खेती करने के लिए सही मात्रा में कार्बनिक पदार्थ जैसे अच्छी सड़ी गोबर की खाद, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट वगैरह का इस्तेमाल करना चाहिए.
मिट्टी अधिक क्षारीय या अम्लीय नहीं होनी चाहिए. ऐसा होने पर प्याज की गांठों की क्वालिटी और उत्पादन घटता है.
जिस मिट्टी में कार्बनिक खाद की ज्यादा मात्रा, 5.8 से 6.5 पीएच मान होने के साथसाथ पानी निकास की व्यवस्था अच्छी हो, इस फसल की खेती के लिए काफी आदर्श मानी जाती है.
प्याज की किस्में
प्याज की ज्यादा उपज हासिल करने के लिए उन्नतशील किस्मों का चयन करना चाहिए.
लाल रंग वाली किस्में : पूसा ह्वाइट, पूसा रैड, अर्का निकेतन, एग्रीफाउंड डार्क रैड, एग्रीफाउंड लाइट रैड, पंजाब रैड राउंड, एन. 241, एन. 53, अर्का कल्याण, बसवंत 780, इंडम डीआर 1, संकर 3, उदयपुर 101, उदयपुर 103, एनएचडीएफ रैड.
सफेद रंग वाली किस्में : पूसा ह्वाइट राउंड, उदयपुर 102, एग्रीफाउंड ह्वाइट, पंजाब 48, जेवी 12.
पीले रंग वाली किस्में : अर्लीग्रानो, फूले सुवर्णा, अर्का पीतांबर.
गुच्छेदार किस्में : सीओ 1, सीओ 2, सीओ 3, एग्रीफाउंड रैड, एमडीयू-1.
इस के अलावा भी बहुत सी निजी बीज कंपनियां अच्छी संकर और उन्नत किस्मों के बीज मुहैया करा रही हैं. इन का इस्तेमाल ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने से प्याज के उत्पादन में ज्यादा बढ़ोतरी मिलती है.
खेत की तैयारी
मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की एक गहरी जुताई करें. इस के बाद देशी हल से 2-3 जुताइयां कर के खेत तैयार करें, ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए.
Denne historien er fra February Second 2023-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra February Second 2023-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
नई तकनीक से किसानों की आमदनी बढ़ा रही हैं डा. पूजा गौड़
डा. पूजा गौड़ शिक्षा से स्वावलंबन और स्वावलंबन से माली समृद्धि के लिए जौनसार इलाके के किसानों और युवाओं को खेतीबारी के प्रति जागरूक कर रही हैं. हाल ही में उन्हें उन के किए जा रहे प्रयासों के लिए लखनऊ में दिल्ली प्रैस द्वारा आयोजित 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड 2024' से सम्मानित किया गया.
पशुओं में गर्भाधान
गोवंशीय पशुओं का बारबार गरमी में आना और स्वस्थ व प्रजनन योग्य नर पशु से गर्भाधान या फिर कृत्रिम गर्भाधान सही समय पर कराने पर भी मादा पशु द्वारा गर्भधारण न करने की अवस्था को 'रिपीट ब्रीडिंग' कहते हैं.
पशुओं के लिए बरसीम एक पौष्टिक दलहनी चारा
बरसीम हरे चारे की एक आदर्श फसल है. यह खेत को अधिक उपजाऊ बनाती है. इसे भूसे के साथ मिला कर खिलाने से पशु के निर्वाहक एवं उत्पादन दोनों प्रकार के आहारों में प्रयोग किया जा सकता है.
औषधीय व खुशबूदार पौधों की जैविक खेती
शुरू से ही इनसान दूसरे जीवों की तरह पौधों का इस्तेमाल खाने व औषधि के रूप में करता चला आ रहा है. आज भी ज्यादातर औषधियां जंगलों से उन के प्राकृतिक उत्पादन क्षेत्र से ही लाई जा रही हैं. इस की एक मुख्य वजह तो उनका आसानी से मिलना है. वहीं दूसरी वजह यह है कि जंगल के प्राकृतिक वातावरण में उगने की वजह से इन पौधों की क्वालिटी अच्छी और गुणवत्ता वाली होती है.
दुधारू पशुओं की प्रमुख बीमारियां और उन का उपचार
पशुपालकों को पशुओं की प्रमुख बीमारियों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, ताकि उचित समय पर सही कदम उठा कर अपना माली नुकसान होने से बचा जा सके. कुछ बीमारियां तो एक पशु से दूसरे पशु को लग जाती हैं, इसलिए सावधान रहने की जरूरत है.
एक ऐसा गांव जहां हर घर में हैं दुधारू पशु
मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित विश्वविद्यालय की घाटी पर बसा गांव रैयतवारी भैंसपालन और दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है. दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कलक्टर संदीप जीआर के मार्गदर्शन में संचालित मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
रबी की सब्जियों में जैविक कीट प्रबंधन
रबी की सब्जियों में मुख्य रूप से वर्गीय में फूलगोभी, पत्तागोभी, सोलेनेसीवर्गीय में गांठगोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च, आलू, पत्तावर्गीय में धनिया, मेथी, सोया, पालक, जड़वर्गीय में मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर एवं मसाला में लहसुन, प्याज आदि की खेती की जाती है.
कृषि विविधीकरण : आमदनी का मजबूत जरीया
किसानों को खेती में विविधीकरण अपनाना चाहिए, जिससे कि वे टिकाऊ खेती, औद्यानिकीकरण, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय के साथ ही मधुमक्खीपालन, मुरगीपालन सहित अन्य लाभदायी उद्यम को करते हुए अपने परिवार की आय को बढ़ाने के साथसाथ स्वरोजगार भी कर सकें.
जनवरी में खेती के काम
जनवरी में गेहूं के खेतों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. इस दौरान तकरीबन 3 हफ्ते के अंतराल पर गेहूं के खेतों की सिंचाई करते रहें. गेहूं के खेतों में अगर खरपतवार या दूसरे फालतू पौधे पनपते नजर आएं, तो उन्हें फौरन उखाड़ दें.
जल संसाधनों के अधिक दोहन को रोकना जरूरी
बायोसैंसर जैसी आधुनिक तकनीक का जल संसाधनों में बेहतर उपयोग किया जा सकता है. मक्का की फसल धान वाले खेतों में पानी बचाने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है.