अजमेर जिले के एक परिवार के 4 किसान भाइयों ने समूह में इंटरक्रौपिंग खेती का एक सही कदम उठा कर न सिर्फ सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया, बल्कि इलाके में एक मिसाल भी कायम की है. यह परिवार 5 सौर ऊर्जा संयंत्रों से 5 ट्यूबवैल चला कर 95 बीघा भूमि में सिंचाई कर रहा है और सालाना तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की आमदनी ले रहा है.
एक साल में ले रहे 3 से 4 फसलें
अजमेर जिला मुख्यालय के निकट बूढ़ा पुष्कर क्षेत्र में किसान कैलाश चंद्र चौहान अपने भाइयों की जमीन में इंटरक्रौपिंग प्रणाली से साल में 3 से 4 फसलें ले रहे हैं. इन्होंने समूह बना कर 5 सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रखे हैं. इस जमीन पर 5 ट्यूबवैल हैं.
इतना ही नहीं, प्याज भंडारण केंद्र, बूंदबूंद सिंचाई, फव्वारा सिंचाई और नर्सरी पर भी सरकारी लाभ प्राप्त कर रहे हैं. बेर, आंवला, अनार, करेला, नीबू के पेड़ों के साथसाथ मटर, मूंगफली, तरबूज, प्याज, गेहूं, चना, जौ, सरसों की फसल पैदा की जा रही है.
मूंगफली के बाद उसी खेत में मटर की खेती की जा रही है. इस के बाद इसी में तरबूज में का उत्पादन किया जाता है. इस साल तकरीबन .50 बीघा में मटर की फसल लहलहा रही है. एक बीघा में 2,300 क्विंटल मटर का उत्पादन हो रहा है. ऐसे में डेढ़ लाख क्विटल मटर का उत्पादन होने की संभावना है. एक साल में मटर से तकरीबन 20 लाख रुपए की कमाई हो रही है, वहीं आंवला के 1,614 पेड़ लगे हैं, जिन में से 600 पौधे पर उत्पादन हो रहा है.
खेतों में 5 ट्यूबवैल से पानी निकालने के लिए 5 सौर ऊर्जा प्लांट लगा रखे हैं. यह सभी प्लांट केंद्र व राज्य सरकार के अनुदान पर लगाए गए हैं. इस से बिजली पर खर्च होने वाले लाखों रुपए की बचत हो गई है यानी एक बार खर्च की गई राशि से हमेशा के लिए बिजली खर्च की बचत हो गई है.
किसान कैलाश चंद चौहान नर्सरी में आंवला, बैर, नीबू, बिल्वपत्र, गुलाब, अनार की पौध तैयार की जाती है. आंध्र प्रदेश, गुजरात के अहमदाबाद, उत्तर प्रदेश के कायमगंज आदि जगह से इन की डिमांड रहती है. इन के खेतों में 250 जामुन के पेड़, अनार के 500, अमरूद के 150, बेर के 130 पौधे लगे हुए हैं, जो अच्छा उत्पादन दे रहे हैं.
क्या है इंटरक्रौपिंग खेती
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