न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी और इस बार एमएसपी में फसलवार की गई वृद्धि निम्नानुसार है :
धान (सामान्य) : 2,183 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 143 रुपए.
धान ( ग्रेड ए) : 2,203 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 143 रुपए.
ज्वार (हाईब्रिड) : 3,180 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 210 रुपए.
ज्वार (मालदंडी) : 3,225 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 235 रुपए.
बाजरा : 2,500 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 150 रुपए.
रागी : 3,846 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 268 रुपए.
मक्का : 2,090 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 128 रुपए.
तूर ( अरहर) : 7,000 रुपए प्रति क्विंटल. वृद्धि 400 रुपए.
मूंग : 8,558 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 803 रुपए.
उड़द : 6,950 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 350 रुपए.
मूंगफली : 6,377 रुपए प्रति क्विंटल. वृद्धि 527 रुपए.
सूरजमुखी के बीज : 6,760 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 360 रुपए.
सोयाबीन (पीला) : 4,600 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 300 रुपए.
तिल : 8,635 रुपए प्रति क्विटल वृद्धि 805 रुपए.
रामतिल : 7,734 रुपए प्रति क्विंटल. वृद्धि 447 रुपए.
कपास ( मध्यम रेशा) : 6,620 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 540 रुपए.
कपास (लंबा रेशा) : 7,020 रुपए प्रति क्विटल. वृद्धि 640 रुपए.
सरकार फसलों की लागत में खेती में लगने वाले सभी खर्चों को जोड़ कर 50 फीसदी लाभ जोड़ कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का दावा भी कर रही है. लेकिन खेती में किसान और उस के परिवार की मजदूरी, फसल में लगने वाले मजदूरों का भुगतान, ट्रैक्टर आदि सभी मशीनों का खर्च, खाद, बीज, उर्वरक, सिंचाई शुल्क, डीजल/बिजली आदि पर किए गए खर्च, वर्तमान बाजार मूल्य के आधार पर नहीं जोड़ा जाता है.
Denne historien er fra July-I 2023-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra July-I 2023-utgaven av Farm and Food.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?