इस के कारण थूथन, मसूड़ों, अयन और अन्य गैर बालों वाले भागों पर छाले व घाव हो जाता है. यह सभी उम्र के पशुओं को प्रभावित करता है.
रोग का कारण
यह रोग एक खास तरह के एफएमडी वायरस के कारण होता है. एफएमडी वायरस के 7 अलगअलग सीरम के प्रकार होते हैं. भारत में एफएमडी ओ, ए और सी सीरम प्रकारों के कारण होता है. यह बहुत कठोर वायरस है और महीनों तक दूषित चारा, कपड़ा, वातावरण इत्यादि में जीवित रहता है.
एफएमडी वायरस सभी उम्र के पशुओं को प्रभावित करता है और सौ फीसदी रोगकारक है. इस वायरस से वयस्कों में मृत्यु दर कम है, लेकिन बछड़ों में सौ फीसदी है. इस का प्रकोप मुख्य रूप से मानसून के आगमन के दौरान होता है. सूअर एफएमडी वायरस के गुणक के रूप में काम करता है और इस से जुगाली करने वाले पशुओं को रोग फैल सकता है.
कैसे फैलता है यह रोग
• रोगग्रस्त पशुओं के आवाजाही, संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क और दूषित निर्जीव वस्तुओं (जूते, कपड़े, वाहन इत्यादि) के संपर्क से रोग फैल सकता है.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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