ड्रोन का खेती में महत्व
Farm and Food|September First 2023
वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी लगभग 10 अरब होगी और भोजन की कमी से बचने के लिए कृषि उत्पादन को दोगुना करना होगा. बढ़ती विश्व जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक कृषि खाद्य उत्पादन में कम से कम 70 फीसदी की वृद्धि करनी होगी. 
डा. हरेंद्र राज गौतम, डा. वाईएस परमार
ड्रोन का खेती में महत्व

यह एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है, क्योंकि कृषि क्षेत्र काफी हद तक ऐसी स्थितियों पर निर्भर करता है, जो पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होती है जैसे कि मौसम, मिट्टी की स्थिति और सिंचाई के उपलब्धता, मात्रा और गुणवत्ता, इसलिए संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने और कृषि उत्पादकता में सुधार करने के लिए स्मार्ट और सटीक खेती एक आशाजनक विकल्प है. सैंसर और ड्रोन जैसी सटीक तकनीकों को अपनाना महत्त्वपूर्ण है.

ड्रोन और सैंसर का स्मार्ट और सटीक खेती में महत्त्व

कृषि ड्रोन मानवरहित हवाई वाहन है, जिन्हें फसल वृद्धि की निगरानी और उत्पादन बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है. डिजिटल इमेजिंग क्षमताओं और उन्नत सैंसर से लैस ये ड्रोन किसानों को उन के खेतों की जानकारी देते हैं, ताकि उन्हें कृषि दक्षता और फसल की पैदावार में सुधार करने में मदद मिल सके.

ड्रोन पूरे कृषि उद्यम की दक्षता में सुधार के लिए एक महत्त्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करते हैं. ड्रोन निगरानी और संवेदन प्रथाओं के लिए आदर्श हैं, क्योंकि वे फसलों और मिट्टी के विकास और स्वास्थ्य की निगरानी के लिए तेजी से भूमि का निरीक्षण कर सकते हैं. फसलों पर पानी, उर्वरक या कीटनाशकों के छिड़काव के अलावा ड्रोन का उपयोग पशुओं की निगरानी और जानवरों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है.

कैमरे, सैंसर और उन्नत डेटा इकट्ठा करने वाले उपकरणों से लैस कृषि ड्रोन किसानों को पौधों के स्वास्थ्य, मिट्टी की स्थिति और शुष्क स्थानों या पौधों के कीटों की पहचान करने में मदद करने के लिए आकाश से खेतों के ऐसे विस्तृत चित्र प्रस्तुत करते हैं, जो वैज्ञानिक जानकारी वाले होते हैं.

ड्रोन पर लगे विभिन्न प्रकार के सैंसर एक विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के अवशोषण की निगरानी करने में सक्षम होते हैं, जो संभावित रूप से समस्याग्रस्त क्षेत्रों को विभिन्न रंगों में दर्शाते हैं.

स्मार्ट और सटीक कृषि में बीज, सिंचाई और उर्वरक जैसे सभी आवश्यक संसाधनों की आवश्यक और इष्टतम मात्रा के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया है और उन का उपयोग करने के नए तरीके तलाशे जा रहे हैं.

Denne historien er fra September First 2023-utgaven av Farm and Food.

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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
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वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

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सर्दी की फसल शलजम
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कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

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राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
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हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

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करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
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पपीता एक महत्त्वपूर्ण फल है. हमारे देश में इस का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है. पपीते की खेती के लिए मुख्य रूप से जाना जाने वाला प्रदेश झारखंड है. यहां उचित जलवायु मिलने के कारण पपीते की अनेक किस्में तैयार की गई हैं.

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दिसंबर महीने के जरुरी काम
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आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.

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चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
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भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.

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आजकल खेती में नएनए यंत्र आ रहे हैं. रोटावेटर ट्रैक्टर से चलने वाला जुताई का एक खास यंत्र है, जो दूसरे यंत्रों की 4-5 जुताई के बराबर अपनी एक ही जुताई से खेत को भुरभरा बना कर खेती योग्य बना देता है.

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खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

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बातचीत : गौतम टेंटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री, मध्य प्रदेश

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गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय
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खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यतः खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है.

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