यह ध्यान रखें कि अक्तूबर महीने में फसल की कटाई के बाद अधिकांश खेत खाली हो चुके होते हैं और किसान रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई की तैयारी कर रहे होते हैं. ऐसी अवस्था में मिट्टी में संतुलित उर्वरकों की मात्रा के प्रयोग को ध्यान में रखते हुए खाली खेत से मिट्टी के नमूने ले कर मृदा जांच प्रयोगशाला अवश्य भेज दें.
इस से मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैंगनीज व अन्य सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की दी जाने वाली मात्रा का पता चल जाता है. खरीफ की फसलों की मड़ाई के उपरांत उचित भंडारण के लिए नई बोरियों का प्रयोग करें.
धान की कटाई करने से एक हफ्ता पहले खेत से पानी निकाल दें. जब पौधे पीले पड़ने लगें व बालियां लगभग पक जाएं, तो समय से फसल की कटाई कर लें.
गेहूं की अगेती फसल लेने वाले किसान अक्तूबर के आखिरी हफ्ते से बोआई शुरू कर सकते हैं. इस के लिए उपयुक्त किस्में एचयूडब्ल्यू-533, के-8027, के-9351, एचडी- 2888, के-8962, के-9465, के-1317 वगैरह हैं.
जौ की अगेती फसल लेने के लिए किसान 15 अक्तूबर के बाद से बोआई शुरू कर सकते हैं. इस के लिए उन्नत छिलके वाली प्रजातियों में ज्योति (के-572/10), आजाद (के-125), हरित (के-560), प्रीति, जाग्रति, लखन, मंजुला, नरेंद्र जी-1, 2 और 3, आरडी-2552 शामिल हैं, जबकि छिलकारहित प्रजातियों में गीतांजली (के-1149), नरेंद्र जौ-5 व उपासना व एनडीबी-934 जैसी प्रजातियां शामिल हैं. माल्ट के लिए के-508, ऋतंभरा (के-551), रेखा, डीएल-88, बीसीयू-3, डीडब्ल्यूआर-2 आदि प्रजातियां उपयुक्त पाई गई हैं.
शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए अक्तूबर का महीना सही होता है. शरदकालीन गन्ने के बीज के पिछले साल शरद ऋतु में बोए गए गन्ने से बीज प्राप्त करें. शरदकालीन गन्ना बोआई में लाइनें 2 फुट दूर रखें. यदि लाइनों की दूरी 3 फुट रखते हैं, तो बीच में आलू की फसल भी ली जा सकती है.
गन्ने को खेत में बोने से पहले थिरम व कार्बोक्सिन दोनों 37.5 फीसदी डब्ल्यूपी 250 ग्राम मात्रा 100 लिटर पानी में घोल कर उस से 25 क्विटल गन्ने के टुकड़े उपचारित किए जा सकते हैं.
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.