अगर देखा जाए, तो देश में उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और केरल आम का सब से ज्यादा उत्पादन करते हैं.
गवरजीत
अलग तरह की मिठास और सुगंध के लिए पूरी दुनिया में विख्यात उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में उगाया जाने वाला गवरजीत आम, जो भी एक बार खाता है, इस का मुरीद हो जाता है.
आम की यह प्रजाति सब से पहले बाजार में पक कर आ जाती है यानी यह आम की अर्ली प्रजाति है. इस की आवक दशहरी के पहले शुरू होती है. जब तक डाल की दशहरी आती है, तब तक यह खत्म हो जाता है.
यह आम देखने में देशी आम के साइज का होता है, लेकिन इस का रेट दशहरी से 3 गुना ज्यादा होता है पूर्वांचल के बस्ती जिले से प्रसारित हुआ यह आम आज पूरे पूर्वांचल में अपनी महक बिखेर रहा है.
गवरजीत आम की एक खासीयत यह भी है कि इसे कार्बाइड से नहीं पकाया जाता है. ठेले पर आम पत्तों के साथ नजर आता है, जिस से उस की अलग पहचान होती है. अपने स्वाद और क्वालिटी के चलते गवरजीत आम दूसरी किस्मों से महंगा भी होता है.
पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बस्ती और संतकबीर नगर जिलों के लाखों लोगों को आम के सीजन में इस का इंतजार रहता है.
जर्दालू
आम की यह किस्म बिहार की एक प्रसिद्ध किस्म है ऐसा माना जाता है कि इस की उत्पत्ति बिहार के भागलपुर जिले में हुई है. भागलपुर एवं इस के आसपास के इलाकों में इस की बागबानी बड़े पैमाने पर की जाती है. फल की उच्च गुणवत्ता के कारण यह किस्म भी पड़ोसी राज्यों में काफी लोकप्रिय है.
इस के पेड़ बड़े एवं पेड़ों यानी छत्रक का फैलाव सामान्य से थोड़ा अधिक होता है. यह एक अगेती किस्म है. पेड़ों में मंजर जनवरी के अंतिम सप्ताह में निकलना शुरू होता है एवं 20-25 फरवरी तक निकलते रहते हैं. जून के प्रथम सप्ताह में फल पकने लगते हैं.
इस के फल काफी बड़े एवं स्वादिष्ठ होते हैं. फल मध्यम आकार से थोड़े बड़े, लंबे (साधारणतया 10.6 सैंटीमीटर लंबे एवं 6.6 सैंटीमीटर चौड़े या मोटे) होते हैं. औसतन एक फल 205 210 ग्राम वजन का होता है. फल का ऊपरी भाग चौड़ा और निचला भाग पतला एवं गोलाकार होता है.
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.