इन सब पर काबू पाने के लिए किसानों को कृषि रसायनों का इस्तेमाल करना पड़ता है या जैविक घोलों का छिड़काव करना होता है, वह भी एक सीमित मात्रा में. यह काम हाथ से या अन्य किसी तरीके से संभव नहीं है. इस के लिए किसान को खेत में छिड़काव करने वाले यंत्र स्प्रेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है.
आज अनेक प्रकार के स्प्रेयर बाजार में मौजूद हैं, जैसे नैपसैक स्प्रेयर, रौकिंग स्प्रेयर, फुट स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, बैटरी स्प्रेयर, सोलर से चलने वाला स्प्रेयर, अल्ट्रा लो वौल्यूम स्प्रेयर और शक्तिचालित पावर स्प्रेयर, मिस्ट ब्लोअर स्प्रेयर वगैरह.
आमतौर पर यह यंत्र हाथ या पैर या फिर ट्रैक्टर आदि से चलने वाले होते हैं. छोटे व मध्यम दर्जे के किसान ज्यादातर हाथ से चलने वाले स्प्रेयर को ही तवज्जुह देते हैं, क्योंकि उन की कीमत कम और रखरखाव भी बेहतर तरीके से किया जा सकता है.
शक्तिचालित स्प्रेयर यंत्र बड़े रकबे व बागबगीचों के लिए ठीक रहते हैं. दूसरी बात यह कि वे काफी महंगे भी पड़ते हैं.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
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रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
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जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
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मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय द्वारा किया जाता है.
धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
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