बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
Farm and Food|August First 2024
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.
डा. राजाराम त्रिपाठी
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'

यह गजब विडंबना है कि इस सब के बावजूद 2024-25 के बजट में विकसित भारत की 9 प्राथमिकताओं में कृषि को सर्वप्रथम स्थान पर रखने का दावा करने का ढोंग किया जा रहा है. इस बजट में घोषित योजनाएं और आवंटन न केवल अपर्याप्त हैं, बल्कि वे कृषि क्षेत्र में कोई भी वास्तविक सकारात्मक परिवर्तन लाने में पूरी तरह से नाकाम हैं.

निराशा का कोहरा हुआ घना

'हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, 'बजट 2024 के संदर्भ में देश के किसानों के ऊपर यह लाइन बेहद सटीक बैठती है. कृषि व कृषि से संबद्ध क्षेत्रों के लिए फरवरी, 2024-25 के अंतरिम बजट में 1.47 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था और वर्तमान बजट में 1.52 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो कि बहुत ही मामूली बढ़ोतरी है. यह राशि देश के कृषि क्षेत्र की विशाल जरूरतों के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरा है.

किसानों को बड़ी घोषणाओं और दीर्घकालिक सुधार योजनाओं की उम्मीद थी, लेकिन यह बजट उन की उम्मीदों पर पानी फेरता दिखाई देता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और किसान पैंशन योजनाओं का दायरा व राशि कम होती जा रही है. पुरानी योजना व नई योजनाओं के लिए कोई बड़ा आवंटन नहीं है.

किसानों का प्रीमियम हड़प कर निजी बीमा कंपनियों की बैलेंसशीट समृद्ध हो रही है, जबकि देश में प्रतिदिन बड़ी तादाद में मजबूर किसान आत्महत्या कर रहे हैं. इस से यह साफ है कि सरकार कृषि क्षेत्र के जरूरी कायाकल्प के प्रति बिलकुल भी गंभीर नहीं है.

अधूरे वादे, खतरनाक इरादे

बजट में कृषि शोध की समीक्षा और जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास का वादा किया गया है, लेकिन इस के लिए कोई ठोस फंडिंग नहीं दी गई है.

कृषि शिक्षा और शोध विभाग के लिए मात्र 9941.09 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में बेहद मामूली वृद्धि है. इस राशि से कृषि अनुसंधान में किसी बड़े सुधार की उम्मीद करना बेमानी है.

जहाज का डूबना तय है

Denne historien er fra August First 2024-utgaven av Farm and Food.

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