गुरुर को चूर करने एवं नई आशा और उत्साह का त्योहार 'ओणम ' केरल का सबसे बड़ा त्योहार है। केरल में इस त्योहार का वही महत्त्व है जो उत्तर भारत में विजयादशमी या दीपावली का या पंजाब में वैशाखी का। ओणम का त्योहार प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में मनाया जाता है। मलयाली संवत् के अनुसार यह महीना सावन का होता है।
क्यों मनाया जाता है ओणम ?
पुराणों के अनुसार जब विष्णु भगवान ने वामन का अवतार धारण किया उस समय मलयालम प्रदेश राजा बलि के राज्य में था।
बलि के राज में चोरी नहीं होती थी। बलि को अपने अच्छे शासन पर तथा अपनी शक्ति पर गर्व था। विष्णु भगवान ने उसका घमंड तोड़ने के लिए वामन का रूप धारण किया और भिक्षा मांगने के लिए वे बलि के पास पहुंचे। बलि ने कहा, 'जो चाहो, मांग लो।' वामन ने तीन पग पृथ्वी मांगी। बलि ने तुरंत प्रार्थना स्वीकार कर ली। अब विष्णु भगवान ने अपना विराट रूप प्रकट किया। उन्होंने दो पगों में सारा ब्रह्मांड नाप लिया। अभी एक पग पृथ्वी उन्हें चाहिए थी। बलि को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उसका घमंड जाता रहा। लेकिन अपने वचन से वह नहीं डिगा। एक पग पृथ्वी के बदले उसने अपना सिर नपवा दिया तथा विष्णु भगवान के चरणों से दब कर पाताल लोक चला गया। किंतु पाताल जाने से पूर्व उसने भगवान से एक वरदान मांगा कि उसे हर वर्ष एक बार अपने प्रिय मलयालम क्षेत्र में आने की स्वीकृति दी जाए। माना जाता है कि तभी से बलि ओणम पर्व के अवसर पर मलयालम की यात्रा पर आता है उसके स्वागत में केरल निवासी हंसी-खुशी से यह त्योहार मनाते हैं।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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